उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सोमवार शाम एक ऐसी मुलाकात हुई, जिसने राज्य की सियासत में नई हलचल मचा दी। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पूर्व सांसद और कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की। यह मुलाकात करीब 30 मिनट से एक घंटे तक चली और इसे सियासी गलियारों में बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। खास बात यह है कि दोनों नेताओं के बीच पिछले तीन साल से संवाद की कमी थी, और बृजभूषण की ओर से कई बार योगी सरकार के खिलाफ तल्ख टिप्पणियाँ सामने आ चुकी थीं। बृजभूषण शरण सिंह, जो पूर्वांचल में अपनी मजबूत राजनैतिक पकड़ के लिए जाने जाते हैं, ने मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में इसे “खास” बताया। उन्होंने कहा, “योगी आदित्यनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, और उनसे मुलाकात तो होनी ही चाहिए। यह मुलाकात शिष्टाचार भेंट थी, जिसमें परिवार का हाल-चाल पूछा गया।” हालांकि, उन्होंने इस मुलाकात के सियासी निहितार्थों पर खुलकर कुछ नहीं कहा, लेकिन उनके बयान और इस मुलाकात का समय 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले कई सवाल खड़े कर रहा है।
पिछले कुछ वर्षों में बृजभूषण और योगी आदित्यनाथ के बीच तनाव की खबरें सुर्खियों में रही थीं। 2023 में महिला पहलवानों द्वारा बृजभूषण पर यौन उत्पीड़न के आरोपों के बाद उनकी मुश्किलें बढ़ गई थीं। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ POCSO एक्ट के तहत केस दर्ज किया था, और सुप्रीम कोर्ट में भी मामला पहुँचा था। इसके बावजूद, बृजभूषण पूर्वांचल में अपनी सियासी ताकत बनाए रखने में कामयाब रहे। 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया, लेकिन उनके बेटे करण सिंह को कैसरगंज सीट से उम्मीदवार बनाया गया। इस दौरान बृजभूषण की अनुपस्थिति और योगी के साथ उनकी कथित नाराजगी ने कई चर्चाएँ जन्म दी थीं।
इस मुलाकात को लेकर राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह बीजेपी के भीतर पूर्वांचल की सियासत को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है। एक विश्लेषक ने कहा, “बृजभूषण का पूर्वांचल में राजपूत और अन्य समुदायों पर प्रभाव है। 2027 के चुनावों से पहले बीजेपी जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश कर रही है, और यह मुलाकात उसी दिशा में एक कदम हो सकता है।” कुछ अन्य विश्लेषकों का मानना है कि यह मुलाकात समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव के साथ बृजभूषण की हालिया नजदीकियों की अफवाहों को शांत करने का भी प्रयास हो सकता है। हाल ही में बृजभूषण ने अखिलेश की तारीफ की थी, जिसके बाद उनके सपा में जाने की अटकलें तेज हो गई थीं। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि वह बीजेपी के ही नेता हैं।
सूत्रों के अनुसार, इस मुलाकात में बृजभूषण ने योगी के साथ क्षेत्रीय विकास, बाढ़ प्रबंधन, और 2027 के चुनावों की रणनीति पर चर्चा की। गोंडा और बलरामपुर जैसे क्षेत्रों में बृजभूषण का मजबूत जनाधार है, और बीजेपी इस प्रभाव का उपयोग करना चाहती है। यह भी उल्लेखनीय है कि बृजभूषण ने पिछले कुछ वर्षों में कई बार योगी सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए थे। 2022 में उन्होंने कहा था, “यहाँ बोलोगे तो बागी कहलाओगे,” जिससे उनकी नाराजगी साफ झलकती थी।
इस मुलाकात के बाद बृजभूषण ने यह भी बताया कि वह पहले तीन बार योगी से मिलने की कोशिश कर चुके थे, लेकिन यह मुलाकात अब जाकर संभव हो पाई। उन्होंने योगी के साथ अपनी पुरानी निकटता का जिक्र करते हुए कहा कि यह भेंट दोनों नेताओं के बीच की दूरी को कम करने में मददगार साबित होगी। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि यह मुलाकात पार्टी हाईकमान के निर्देश पर हुई हो सकती है, ताकि 2027 के चुनावों से पहले संगठन में एकजुटता दिखाई जाए।हालांकि, विपक्ष ने इस मुलाकात पर तंज कसा है। सपा नेता अंशु अवस्थी ने कहा, “यह मुलाकात बीजेपी की अंदरूनी कमजोरियों को दर्शाती है। योगी सरकार की नाकामियों को छिपाने के लिए अब पुराने नेताओं को मनाने की कोशिश हो रही है।” दूसरी ओर, बीजेपी के नेताओं का कहना है कि यह मुलाकात सामान्य शिष्टाचार भेंट थी, और इसे ज्यादा तूल देना ठीक नहीं है।
यह मुलाकात 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले उत्तर प्रदेश की सियासत में नए समीकरण बना सकती है। बृजभूषण का पूर्वांचल में प्रभाव और योगी की संगठनात्मक ताकत मिलकर बीजेपी को मजबूती दे सकती है, लेकिन यह भी सवाल उठता है कि क्या यह मुलाकात पुरानी नाराजगियों को पूरी तरह खत्म कर पाएगी?