आम करदाताओं के लिए राहत भरी खबर आ रही है। संसद की एक समिति ने सुझाव दिया है कि अगर कोई टैक्सपेयर्स इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) की आखिरी तारीख चूक जाए, तो भी वह बिना किसी जुर्माने के अपना TDS रिफंड क्लेम कर सके।
यह सुझाव इनकम टैक्स बिल 2025 के ड्राफ्ट में दिया गया है, जो मौजूदा इनकम टैक्स एक्ट 1961 की जगह लेगा। इसका मकसद टैक्स सिस्टम को आसान और साफ बनाना है।
छोटे टैक्सपेयर्स को मिलेगी राहत
अभी के नियमों के अनुसार, जिनकी आय टैक्स की सीमा से कम है लेकिन उन पर TDS काटा गया है, उन्हें रिफंड पाने के लिए ITR भरना जरूरी है। अगर वे समय पर रिटर्न नहीं भरते तो जुर्माना भी लग सकता है।
समिति ने माना कि ये नियम सीनियर सिटीजन, पेंशनर्स और छोटे नौकरीपेशा लोगों के लिए कठोर हैं। सिर्फ रिफंड पाने के लिए रिटर्न भरना एक अतिरिक्त बोझ है। इसलिए समिति चाहती है कि अगर किसी की मंशा टैक्स चोरी की नहीं है, तो ITR देर से भरने पर भी रिफंड मिले।
टैक्स सिस्टम को आसान बनाने की कोशिश
समिति चाहती है कि टैक्स से जुड़ी जटिल शब्दावली, जैसे “पिछला वर्ष” और “असेसमेंट ईयर”, को मिलाकर सिर्फ एक शब्द “टैक्स ईयर” कर दिया जाए। इससे टैक्स भरना आसान होगा और लोगों की भ्रम की स्थिति खत्म होगी।
कुछ पुरानी परिभाषाओं जैसे कैपिटल एसेट और इन्फ्रास्ट्रक्चर कैपिटल कंपनी को भी अपडेट करने की सिफारिश की गई है।
NPOs और धार्मिक संस्थाओं को छूट जारी रखने की मांग
समिति ने चिंता जताई कि धार्मिक और समाजसेवी ट्रस्ट्स पर लगाए जा रहे टैक्स से उनका काम प्रभावित हो सकता है। इसलिए ऐसी संस्थाओं को छूट देने और परिभाषाओं को स्पष्ट करने की बात कही गई है।
विदेश में रहने वाले टैक्सपेयर्स के लिए भी राहत
समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि विदेश में रहने वाले लोगों को टैक्स से जुड़े कुछ पुराने सर्टिफिकेट (जैसे Nil Withholding Certificate) फिर से दिए जाएं ताकि उन्हें रिफंड में देरी न हो।
566 सुझाव, एक मकसद – आसान टैक्स सिस्टम
बीजेपी सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली समिति ने कुल 566 सुझाव दिए हैं। इनका मकसद है कि टैक्स कानून साधारण, पारदर्शी और भरोसेमंद बने। अगर सरकार इन सुझावों को मानती है, तो आम लोगों का टैक्स से जुड़ा काम आसान हो जाएगा।
अब सभी की नजर सरकार पर है कि वह 2025 के इनकम टैक्स बिल को कैसे अंतिम रूप देती है।








