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उपराष्ट्रपति के तौर पर क्या होंगी सीपी राधाकृष्णन की शक्तियां, जिम्मेदारियां, सुविधाएं और वेतन

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CP Radhakrishnan

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नई दिल्ली, 10 सितंबर 2025। भारत के संवैधानिक ढांचे में उपराष्ट्रपति का पद राष्ट्रपति के बाद दूसरा सबसे महत्वपूर्ण पद है। हाल ही में हुए चुनाव में राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति चुना गया है, जो राज्यसभा के सभापति के रूप में भी कार्यभार संभालेंगे। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 63 से 71 तक उपराष्ट्रपति के पद, चुनाव, शक्तियों और कर्तव्यों का वर्णन है। सीपी राधाकृष्णन, जो एक प्रमुख राजनीतिक हस्ती हैं, अब इस भूमिका में देश की संसदीय व्यवस्था को मजबूत करने में योगदान देंगे।

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 उपराष्ट्रपति की प्राथमिक जिम्मेदारी राज्यसभा का सभापति होना है। वे राज्यसभा की बैठकों का संचालन करेंगे, सदस्यों के बीच बहस को नियंत्रित रखेंगे और सदन की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाएंगे। यदि उनकी अनुपस्थिति में कोई बैठक हो, तो डिप्टी चेयरमैन उनकी भूमिका निभाएंगे। इसके अलावा, उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति की सलाहकार के रूप में कार्य करने का अवसर मिलता है। संविधान के अनुच्छेद 65 के तहत, यदि राष्ट्रपति का पद किसी कारण से रिक्त हो जाता है जैसे इस्तीफा, मृत्यु या महाभियोग तो उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे।

 इस दौरान उन्हें राष्ट्रपति की सभी शक्तियां प्राप्त होंगी, जिसमें विधेयकों पर हस्ताक्षर करना, आपातकाल घोषित करना और सैन्य कमांड शामिल है। यह अवधि अधिकतम छह माह तक सीमित है, जब तक नया राष्ट्रपति चुनाव नहीं हो जाता। हालांकि, सामान्य परिस्थितियों में उपराष्ट्रपति की शक्तियां मुख्यतः विधायी होती हैं, न कि कार्यकारी। वे किसी अन्य लाभकारी पद पर नहीं रह सकते, जो संवैधानिक निष्पक्षता सुनिश्चित करता है। राधाकृष्णन को मिलने वाली सुविधाएं उपराष्ट्रपति पद की गरिमा के अनुरूप हैं।

 दिल्ली में 15, मौलाना आजाद रोड पर एक विशाल आधिकारिक आवास प्रदान किया जाएगा, जो सुरक्षा और आराम से सुसज्जित है। चिकित्सा सुविधाएं सरकारी अस्पतालों में मुफ्त उपलब्ध होंगी। यात्रा के लिए बुलेटप्रूफ वाहन, वायुयान और रेल सुविधाएं निःशुल्क मिलेंगी। विदेश यात्राओं पर डिप्लोमेटिक पासपोर्ट, होटल बुकिंग और प्रोटोकॉल सेवाएं प्रदान की जाएंगी। व्यक्तिगत स्टाफ, सुरक्षा गार्ड और कार्यालय सहायता भी सुनिश्चित होगी। वेतन की बात करें तो उपराष्ट्रपति को अलग से कोई वेतन नहीं मिलता।

 ‘संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन अधिनियम, 1954’ के तहत, राज्यसभा सभापति के रूप में उन्हें प्रतिमाह 4 लाख रुपये का वेतन प्राप्त होगा। यदि वे राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे, तो उस दौरान राष्ट्रपति के वेतन (5 लाख रुपये मासिक) का लाभ मिलेगा। सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन वेतन का 50 प्रतिशत (लगभग 2 लाख रुपये) होगी, साथ ही जीवनभर सुविधाएं जैसे आवास, यात्रा और चिकित्सा जारी रहेंगी। पूर्व उपराष्ट्रपति के जीवनसाथी को भी छोटा आवास और अन्य लाभ मिलते हैं। राधाकृष्णन का कार्यकाल पांच वर्ष का होगा, जो संसदीय लोकतंत्र को सशक्त बनाएगा।

 यह पद न केवल विधायी संतुलन प्रदान करता है, बल्कि संकटकाल में देश की स्थिरता का प्रतीक भी है। कुल मिलाकर, उपराष्ट्रपति की भूमिका संवैधानिक गरिमा और जिम्मेदारी का प्रतीक है।

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