महोबा, 17 सितंबर 2025। Voter List Scam: उत्तर प्रदेश के महोबा जिले से एक ऐसी खबर सामने आई है जो लोकतंत्र की नींव को हिला देने वाली है। 2026 के पंचायत चुनावों की तैयारियों के बीच मतदाता सूची के पुनरीक्षण अभियान में एक चौंकाने वाली गड़बड़ी उजागर हुई है। जैतपुर ग्राम पंचायत के वार्ड नंबर तीन, जुगयाना में एक ही मकान नंबर 803 में पूरे 4,271 मतदाताओं के नाम दर्ज पाए गए हैं।
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यह संख्या ग्राम पंचायत के कुल 16,069 मतदाताओं का लगभग एक-चौथाई हिस्सा है। इतने सारे वोटर एक छोटे से चार कमरों वाले घर में कैसे संभव है? यह सवाल न केवल स्थानीय लोगों के मन में बल्कि पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा रहा है। विपक्षी दलों ने इसे ‘वोट चोरी’ की सुनियोजित साजिश करार देते हुए भाजपा और चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। यह मामला महोबा जिले के जैतपुर ब्लॉक के जुगयाना गांव से जुड़ा है। यहां का मकान नंबर 803 एक साधारण सा घर है, जिसकी मुखिया उजिया की मौत 10 साल पहले हो चुकी है। फिर भी, मतदाता सूची में उनका नाम दर्ज होने के साथ-साथ क्रमांक 2251 से शुरू होकर 4,271 नाम एक ही पते पर जुड़े हुए हैं।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह घर कभी इतना बड़ा नहीं था, जहां इतने लोग रह सकें। पास के पनवारी कस्बे में भी इसी तरह की अनियमितताएं सामने आई हैं, जहां एक अन्य मकान में 243 मतदाता और दूसरे में 185 नाम दर्ज हैं। ये आंकड़े इतने अविश्वसनीय हैं कि बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) खुद दंग रह गए। एक बीएलओ ने बताया, “डोर-टू-डोर सर्वे के दौरान जब लिस्ट चेक की तो आंखें फटी की फटी रह गईं। एक घर में सैकड़ों नाम? यह तो असंभव है।”विपक्ष ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है।
आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “उत्तर प्रदेश में भाजपा और निर्वाचन आयोग की मिलीभगत से वोट चोरी की साजिश शुरू हो चुकी है। महोबा में एक ही घर में 4,271 वोटर पंजीकृत हैं। अगर इस घर के मालिक ने ग्राम प्रधान का चुनाव लड़ा तो भी वे अकेले ही जीत जाएंगे, क्योंकि उनके पास इतने वोट हैं!” सिंह ने तंज कसते हुए कहा कि यह केवल महोबा तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में ऐसी फर्जीवाड़ा हो रहा है। उन्होंने मांग की कि मतदाता सूची का तत्काल ऑडिट हो और जिम्मेदार अफसरों पर कार्रवाई की जाए। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के नेताओं ने भी इसे लोकतंत्र पर हमला बताया है।
एक एसपी नेता ने कहा, “यह वोट बैंक इंजीनियरिंग का खेल है। भाजपा सत्ता में बने रहने के लिए चुनाव प्रक्रिया को ही तोड़ रही है। “प्रशासन की ओर से इस मामले पर सफाई दी गई है। जिला प्रशासन के एडीएम कुंवर पंकज ने कहा कि यह कोई साजिश नहीं, बल्कि तकनीकी त्रुटि है। उन्होंने स्पष्ट किया कि महोबा जैसे ग्रामीण इलाकों में स्थायी मकान नंबरिंग सिस्टम पूरी तरह लागू नहीं है। बीएलओ ने डोर-टू-डोर सर्वे के दौरान कई परिवारों के नाम एक ही नंबर पर दर्ज कर दिए, लेकिन सभी मतदाता उसी गांव के निवासी हैं। कोई बाहरी या फर्जी नाम नहीं हैं।
एडीएम ने कहा, “यह समस्या पुरानी है। हम सुधार प्रक्रिया चला रहे हैं। 29 सितंबर तक चलने वाले सत्यापन अभियान में 486 बूथ लेवल अधिकारी और 49 सुपरवाइजर लगाए गए हैं। मकान नंबरों को सही करने का काम तेजी से हो रहा है।” पिछले साल एक एआई-सहायता प्राप्त ऑडिट में जिले में 1 लाख से अधिक संदिग्ध मतदाताओं का पता चला था, जिसे ठीक किया गया था। फिर भी, विपक्ष प्रशासन के इस स्पष्टीकरण को खारिज कर रहा है और इसे ढंकने की कोशिश बता रहा है।
यह घटना महोबा के पंचायत चुनावों से पहले आई है, जो 2026 में होने हैं। राज्य निर्वाचन आयोग ने मतदाता सूची के संशोधन के लिए विशेष अभियान चलाया है, लेकिन ऐसी गड़बड़ियां लोकतंत्र की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ी कर रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल मैपिंग और नंबरिंग की कमी से ऐसी समस्याएं बढ़ती हैं। महोबा, जो वीर भूमि के नाम से जाना जाता है, आज चुनावी धांधली के कारण सुर्खियों में है।
स्थानीय लोग चिंतित हैं कि यदि मतदाता सूची सही नहीं हुई तो निष्पक्ष चुनाव कैसे होगा? विपक्ष ने आंदोलन की चेतावनी दी है, जबकि प्रशासन सुधार का भरोसा दिला रहा है। यह मामला पूरे उत्तर प्रदेश में वोटर लिस्ट की जांच का मुद्दा बन गया है। क्या यह महज चूक है या साजिश? इसका जवाब तो समय ही देगा, लेकिन फिलहाल लोकतंत्र की मजबूती पर खतरा मंडरा रहा है।
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