नई दिल्ली, 8 सितंबर 2025। Vice President Election 2025: भारत का उपराष्ट्रपति चुनाव 2025 सियासी हलचल का केंद्र बन गया है, जहां 9 सितंबर को होने वाली वोटिंग से पहले राजनीतिक सरगर्मियां चरम पर हैं। यह चुनाव सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के उम्मीदवार सी.पी. राधाकृष्णन और विपक्षी इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी के बीच रोचक मुकाबले का गवाह बनने जा रहा है। जहां एनडीए को संसद में संख्याबल का भरोसा है, वहीं विपक्ष सांसदों की ‘अंतरात्मा की आवाज’ के सहारे अपनी जीत की उम्मीद पाले हुए है।
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इस चुनाव का गणित और रणनीतियां इसे और भी दिलचस्प बना रही हैं। उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के कुल 782 सांसदों के मतों के आधार पर होता है, जिसमें जीत के लिए 392 वोटों की आवश्यकता है। वर्तमान संसदीय गणित के अनुसार, एनडीए के पास लोकसभा में 293 और राज्यसभा में 134 सांसदों का समर्थन है, जो कुल 427 वोट बनाता है। यह बहुमत से 35 वोट अधिक है। दूसरी ओर, इंडिया गठबंधन के पास 355 सांसदों का समर्थन है, जिसमें लोकसभा के 234 और राज्यसभा के 106 सांसद शामिल हैं। इसके बावजूद, विपक्ष को कुछ गैर-गठबंधन दलों और निर्दलीय सांसदों से समर्थन की उम्मीद है।
एनडीए ने सी.पी. राधाकृष्णन को मैदान में उतारकर एक रणनीतिक दांव खेला है। महाराष्ट्र के राज्यपाल और तमिलनाडु के गोंडर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले राधाकृष्णन की गैर-विवादास्पद छवि और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ाव उन्हें मजबूत उम्मीदवार बनाता है। बीजेपी ने उनके चयन से दक्षिण भारत, खासकर तमिलनाडु में अपनी पैठ बढ़ाने की कोशिश की है, जहां पार्टी को अब तक सीमित सफलता मिली है। राधाकृष्णन का अनुभव और संगठनात्मक कौशल एनडीए के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
वहीं, इंडिया गठबंधन ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश और गोवा के पूर्व लोकायुक्त बी. सुदर्शन रेड्डी को चुनकर एक वैचारिक लड़ाई का आगाज किया है। रेड्डी की साख उनकी निष्पक्ष और ईमानदार छवि पर टिकी है। उन्होंने सांसदों से अपील की है कि वे दलगत राजनीति से ऊपर उठकर संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए मतदान करें। विपक्ष को उम्मीद है कि तेलंगाना से ताल्लुक रखने वाले रेड्डी दक्षिण भारत के दलों, जैसे टीडीपी और वाईएसआरसीपी, से समर्थन हासिल कर सकते हैं। हालांकि, वाईएसआरसीपी ने एनडीए को समर्थन देने की घोषणा कर विपक्ष को झटका दिया है।
चुनाव से पहले विपक्ष ने संसद भवन में मॉक पोल का आयोजन किया, जिसमें सांसदों को मतदान प्रक्रिया की जानकारी दी गई। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने विपक्षी सांसदों के लिए रात्रिभोज की योजना बनाई थी, लेकिन देश में बाढ़ की स्थिति के कारण इसे रद्द कर दिया गया। दूसरी ओर, एनडीए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सांसदों के लिए विशेष डिनर का आयोजन किया, जिससे अन्य दलों का समर्थन जुटाने की कोशिश की गई।
संख्याबल के हिसाब से राधाकृष्णन का पलड़ा भारी दिखता है, लेकिन विपक्ष का दावा है कि 100 से अधिक ‘अनिश्चित’ सांसद उनके लिए गेमचेंजर साबित हो सकते हैं। बीजू जनता दल (बीजेडी) और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) जैसे दलों ने गठबंधनों से दूरी बनाए रखने का फैसला किया है, जिससे समीकरण और जटिल हो गए हैं।
यह चुनाव न केवल संख्याबल बल्कि विचारधारा और नैतिकता की भी लड़ाई बन गया है। राधाकृष्णन जहां एनडीए की संगठनात्मक ताकत का प्रतीक हैं, वहीं रेड्डी विपक्ष की संवैधानिक मूल्यों की रक्षा की उम्मीद हैं। सभी की निगाहें 9 सितंबर की वोटिंग पर टिकी हैं, जिसके तुरंत बाद परिणाम घोषित होंगे। यह मुकाबला भारतीय राजनीति के भविष्य की दिशा को भी प्रभावित कर सकता है।
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