Vastu Tips: वास्तु शास्त्र भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है, जो हमारे जीवन को सकारात्मक ऊर्जा और संतुलन से जोड़ता है। यह न केवल घर की संरचना और सजावट को प्रभावित करता है, बल्कि हमारी दैनिक गतिविधियों, जैसे भोजन करने की प्रक्रिया को भी प्रभावित करता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, भोजन करते समय सही दिशा का चयन करना न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह मानसिक शांति और आर्थिक समृद्धि को भी बढ़ावा देता है।
गलत दिशा में भोजन करने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ सकता है, जो स्वास्थ्य और जीवन में समस्याएं पैदा कर सकता है। आइए जानते हैं कि भोजन करते समय कौन सी दिशा सबसे उत्तम है और क्यों।वास्तु शास्त्र के अनुसार, भोजन करने के लिए सबसे उपयुक्त दिशा पूर्व या उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) है। पूर्व दिशा सूर्य की दिशा मानी जाती है, जो जीवन शक्ति, सकारात्मकता और ऊर्जा का प्रतीक है।
इस दिशा में भोजन करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, पाचन तंत्र मजबूत होता है और मानसिक शांति मिलती है। उत्तर-पूर्व दिशा को देवताओं की दिशा माना जाता है, जो आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर होती है। इस दिशा में भोजन करने से मन शांत रहता है और परिवार में सौहार्द बना रहता है। पश्चिम दिशा भी भोजन करने के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकती है, खासकर उन लोगों के लिए जो व्यवसाय या नौकरी में तरक्की चाहते हैं।
यह दिशा वरुण देव की मानी जाती है, जो समृद्धि और स्थिरता का प्रतीक है। हालांकि, यह पूर्व और उत्तर-पूर्व जितनी प्रभावी नहीं मानी जाती। वास्तु शास्त्र में दक्षिण दिशा में भोजन करने की सलाह नहीं दी जाती। यह दिशा यम की दिशा मानी जाती है, जो नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकती है। दक्षिण दिशा में भोजन करने से पाचन संबंधी समस्याएं, तनाव और आर्थिक हानि होने की संभावना रहती है। इसी तरह, उत्तर दिशा में भोजन करना भी अनुशंसित नहीं है, क्योंकि यह दिशा धन और समृद्धि की दिशा मानी जाती है, और इसमें भोजन करने से धन हानि हो सकती है।
भोजन कक्ष के लिए वास्तु टिप्स
भोजन कक्ष की स्थिति: भोजन कक्ष को हमेशा घर के पश्चिम या उत्तर-पश्चिम हिस्से में बनाना चाहिए। यह स्थान सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।
मेज की दिशा: भोजन की मेज को इस तरह रखें कि उसका मुख पूर्व या उत्तर की ओर हो। मेज को दीवार से सटाकर नहीं रखना चाहिए, ताकि ऊर्जा का प्रवाह बना रहे।
साफ-सफाई: भोजन कक्ष को हमेशा स्वच्छ और व्यवस्थित रखें। अव्यवस्था नकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देती है।प्रकाश और रंग: भोजन कक्ष में हल्के और सकारात्मक रंगों का उपयोग करें, जैसे सफेद, हल्का पीला या हरा। पर्याप्त रोशनी का होना भी जरूरी है।
भोजन करते समय टीवी या मोबाइल का उपयोग करने से बचें। शांत और सकारात्मक माहौल में भोजन करने से मन और शरीर दोनों स्वस्थ रहते हैं।
वास्तु शास्त्र के इन नियमों का पालन करने से न केवल आपका स्वास्थ्य बेहतर रहेगा, बल्कि घर में सुख-शांति और समृद्धि भी बनी रहेगी। सही दिशा में भोजन करने से आप नकारात्मक ऊर्जा से बच सकते हैं और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। इसलिए, अगली बार जब आप भोजन करने बैठें, तो दिशा का ध्यान रखें और वास्तु के इन सरल नियमों को अपनाएं।