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Uttar Pradesh News: राजधानी लखनऊ में अवैध पटाखा फैक्ट्री में दो धमाके, दो की मौत, 6 गंभीर

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  • लखनऊ में सात घंटे के भीतर दो विनाशकारी धमाके

लखनऊ, 1 सितंबर 2025। Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के गुडंबा थाना क्षेत्र में रविवार, 31 अगस्त 2025 को सात घंटे के भीतर दो जोरदार धमाकों ने पूरे इलाके को दहला दिया। ये विस्फोट अवैध रूप से संचालित एक पटाखा फैक्ट्री में हुए, जिसमें दो लोगों की मौत हो गई और छह अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए। यह हादसा बेहटा गांव में आलम (50) के घर में हुआ, जहां अवैध रूप से पटाखे बनाए जा रहे थे। सुबह 11:30 बजे पहला धमाका इतना जबरदस्त था कि आलम का मकान ताश के पत्तों की तरह ढह गया, और आसपास के पांच घरों को भी नुकसान पहुंचा। कुछ घरों में दरारें पड़ गईं, जबकि अन्य की दीवारें तक हिल गईं।

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इस हादसे ने एक बार फिर अवैध पटाखा कारोबार के खतरे और पुलिस-प्रशासन की नाकामी को उजागर किया है। धमाकों की आवाज इतनी तेज थी कि स्थानीय लोगों को लगा कि बिजली गिरी हो या कोई बम विस्फोट हुआ हो। प्रत्यक्षदर्शी आयशा खातून ने बताया, “हम पिछले कमरे में थे जब अचानक तेज धमाका हुआ। ऐसा लगा मानो बिजली गिरी हो। हम डर के मारे बाहर भागे, तभी दूसरा धमाका हुआ।” हादसे के बाद इलाके में अफरा-तफरी मच गई।

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स्थानीय लोग मलबे में फंसे लोगों को निकालने की कोशिश में जुट गए, जबकि पुलिस और फायर ब्रिगेड की टीमें मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्य शुरू किया। घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पताल ले जाया गया, जहां दो लोगों को ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया। पुलिस का दावा है कि आलम की भाभी खातून के नाम पर पटाखा बनाने का लाइसेंस था, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि यह लाइसेंस वैध था या नहीं।

जांच में पता चला कि आलम चूड़ी बेचने के साथ-साथ अवैध रूप से पटाखा कारोबार भी चला रहे थे। यह कोई नई बात नहीं है, लखनऊ और उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों में पहले भी ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। फिर भी, प्रशासन और पुलिस की ओर से इस अवैध कारोबार पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

पुलिस और प्रशासन की चूक

लखनऊ के बेहटा गांव में हुए इस हादसे ने पुलिस और स्थानीय प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।  यह इलाका रिहायशी है और यहां अवैध रूप से पटाखे बनाने का कारोबार चल रहा था, जिसकी भनक न तो पुलिस को थी और न ही प्रशासन को। स्थानीय खुफिया इकाई (लोकल इंटेलिजेंस यूनिट) की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। यदि समय रहते इस अवैध कारोबार की जांच की गई होती, तो शायद यह हादसा टाला जा सकता था। पुलिस अधिकारियों ने हादसे के बाद दावा किया कि वे यह जांच करेंगे कि आलम के पास लाइसेंस था या नहीं, लेकिन सवाल यह है कि हादसे के बाद जांच का क्या मतलब, जब जान-माल का नुकसान पहले ही हो चुका है?

उत्तर प्रदेश में अवैध पटाखा कारोबार कोई नई समस्या नहीं है। हर साल दीपावली और अन्य त्योहारों के दौरान इस तरह के कारोबार में तेजी आती है, और इसके परिणामस्वरूप विस्फोट और हादसे होते हैं। पिछले कुछ वर्षों में लखनऊ, मेरठ, और अन्य जिलों में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं, जिनमें कई लोग मारे गए और दर्जनों घायल हुए। पुलिस और प्रशासन की निष्क्रियता का आलम यह है कि अवैध पटाखा फैक्ट्रियां रिहायशी इलाकों में धड़ल्ले से चल रही हैं। इन कारोबारों को रोकने के लिए कोई प्रभावी नीति या निगरानी तंत्र नहीं है।

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स्थानीय लोग बताते हैं कि इस तरह की गतिविधियां पुलिस की जानकारी में होती हैं, लेकिन रिश्वत और भ्रष्टाचार के कारण कोई कार्रवाई नहीं होती। यह हादसा इस बात का सबूत है कि प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार किस तरह आम लोगों की जान ले रहा है।

बार-बार होने वाली त्रासदियों का सबक

लखनऊ में हुए इस हादसे ने एक बार फिर यह सवाल उठाया है कि आखिर कब तक ऐसी त्रासदियां होती रहेंगी? उत्तर प्रदेश में अवैध पटाखा कारोबार के कारण होने वाली मौतें और हादसे कोई नई बात नहीं हैं। हर साल त्योहारों के मौसम में ऐसी घटनाएं सामने आती हैं और हर बार प्रशासन जांच का आश्वासन देता है, लेकिन धरातल पर कोई बदलाव नहीं दिखता।

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यह हादसा न केवल प्रशासन की नाकामी को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि समाज में सुरक्षा मानकों के प्रति कितनी उदासीनता है। पटाखों का अवैध कारोबार न केवल जानलेवा है, बल्कि यह पर्यावरण और सामाजिक सुरक्षा के लिए भी खतरा है। इन फैक्ट्रियों में काम करने वाले लोग, जिनमें ज्यादातर गरीब और अशिक्षित मजदूर होते हैं, अपनी जान जोखिम में डालकर काम करते हैं। इसके बावजूद, न तो सरकार और न ही प्रशासन इस समस्या के स्थायी समाधान के लिए कोई ठोस कदम उठा रहा है।इस हादसे के बाद स्थानीय लोगों में गुस्सा और डर का माहौल है।

कई लोग यह सवाल उठा रहे हैं कि जब पुलिस और प्रशासन को पहले से ही इस तरह के अवैध कारोबार की जानकारी होती है, तो कार्रवाई क्यों नहीं की जाती? कुछ लोगों का मानना है कि यह कारोबार इतना बड़ा और संगठित है कि इसमें कई प्रभावशाली लोग शामिल हैं, जिसके कारण पुलिस इसे रोकने में असमर्थ है।आगे बढ़ने के लिए, सरकार को अवैध पटाखा कारोबार पर सख्ती से रोक लगाने की जरूरत है। इसके लिए न केवल कठोर कानून लागू करने होंगे, बल्कि पुलिस और प्रशासन को भी जवाबदेह बनाना होगा।

रिहायशी इलाकों में ऐसी गतिविधियों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, और लाइसेंसिंग प्रक्रिया को और पारदर्शी करना होगा। साथ ही, लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान चलाए जाने चाहिए ताकि वे इस तरह के खतरनाक कारोबार में शामिल न हों।

लखनऊ के गुडंबा में हुए इस हादसे ने एक बार फिर अवैध पटाखा कारोबार के खतरे को सामने लाया है। दो लोगों की मौत और कई अन्य के घायल होने के बाद भी यदि प्रशासन नहीं जागता, तो यह एक बड़ी त्रासदी होगी।  यह समय है कि सरकार और पुलिस इस समस्या को गंभीरता से लें और इसे जड़ से खत्म करने के लिए ठोस कदम उठाएं। अवैध कारोबार पर नकेल कसने के साथ-साथ, समाज को भी इस तरह की गतिविधियों के खिलाफ जागरूक होने की जरूरत है। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो भविष्य में ऐसी त्रासदियां और भी भयावह रूप ले सकती हैं।

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