लखनऊ, 27 अक्टूबर 2025। UP Power Corporation: उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन के ‘वर्टिकल व्यवस्था’ लागू करने के फैसले से लगभग 3,613 आउटसोर्स कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में पड़ गई हैं। इस कदम का विरोध करते हुए उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन निविदा/संविदा कर्मचारी संघ ने 1 नवंबर 2025 से विरोध प्रदर्शन और आंदोलन शुरू करने की चेतावनी जारी की है।
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तालकटोरा में रविवार को हुई संघ की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद खालिद ने प्रबंधन की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि लखनऊ में बिजली आपूर्ति और राजस्व वसूली सुचारू रूप से चल रही है, फिर भी मध्यांचल के एमडी रिया केजरीवाल द्वारा 1 नवंबर से वर्टिकल व्यवस्था थोपने का निर्णय बिजली व्यवस्था को ध्वस्त कर देगा। खालिद ने चेतावनी दी कि इससे न केवल कर्मचारियों की आजीविका पर असर पड़ेगा, बल्कि उपभोक्ताओं को भी परेशानी का सामना करना पड़ेगा।

संघ ने प्रबंधन से फैसले पर पुनर्विचार की मांग की है, वरना आंदोलन को तेज करने का ऐलान किया। इसी बीच, यूपी रोडवेज कर्मचारी कल्याण संघ ने शासन के समक्ष सात सूत्रीय मांग पत्र सौंपा है। प्रमुख मांगों में तत्काल भर्ती और निजीकरण पर पूर्ण रोक शामिल है। संघ के अनुसार, निगम में नियमित कर्मचारियों और अधिकारियों की संख्या बेहद कम हो चुकी है, जिससे संचालन प्रभावित हो रहा है। सभी संवर्गों में मानकों के अनुरूप तत्काल भर्ती की मांग की गई है।
संघ ने 19 कार्यशालाओं के निजीकरण को तुरंत समाप्त करने की अपील की, क्योंकि इससे निगम को प्रतिमाह करीब 3 करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान हो रहा है। इसके अलावा, वर्षों से सेवा दे रहे संविदा कर्मचारियों को नियमित करने और उनकी सेवा नियमावली बनाने की मांग प्रमुख है। अन्य मांगों में वेतन वृद्धि, पेंशन सुविधा और कार्यस्थल सुरक्षा शामिल हैं।
संघ ने कहा कि मांगें पूरी न होने पर आंदोलन की चरणबद्ध रणनीति अपनाई जाएगी। ये घटनाक्रम यूपी के सरकारी उपक्रमों में कर्मचारी असंतोष को उजागर करते हैं, जहां निजीकरण और संविदा प्रथा से जुड़ी समस्याएं बढ़ रही हैं। शासन को जल्द हस्तक्षेप की आवश्यकता है, ताकि सेवाओं पर असर न पड़े।
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