लखनऊ, 23 सितंबर 2025। UP politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर यादव परिवार का आंतरिक कलह सड़क पर उतर आया है। समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को ‘धोखेबाज’ करार देते हुए तीखा प्रहार किया है। जयंत चौधरी के नेतृत्व वाली रालोद पर गठबंधन तोड़ने और भाजपा की गोद में बैठने का आरोप लगाते हुए शिवपाल ने कहा कि यह विश्वासघात है। जवाब में जयंत के करीबी नेता अनुराग चौधरी ने पलटवार किया ‘शिवपाल खुद अवसरवादी हैं, किसान हित में रालोद का फैसला सही था।’
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यह विवाद 2024 लोकसभा चुनाव के गठबंधन टूटने के बाद फिर से भड़का है, जब रालोद ने भाजपा से हाथ मिला लिया।याद दिला दें, 2023 में सपा और रालोद का गठबंधन हुआ था। अखिलेश यादव और जयंत चौधरी ने मिलकर इंडिया गठबंधन को मजबूत करने का वादा किया। पश्चिमी यूपी में जाट-यादव समीकरण को मजबूत करने के लिए यह साझेदारी रणनीतिक थी। लेकिन फरवरी 2024 में चरण सिंह को भारत रत्न मिलने के बाद जयंत ने पलटी मार ली। रालोद भाजपा में शामिल हो गई, जिससे सपा को करारा झटका लगा।
शिवपाल, जो सपा के महासचिव हैं और अखिलेश के चाचा, ने तब भी जयंत को ‘इंडिया ब्लॉक में रहने’ की अपील की थी। लेकिन अब, सितंबर 2025 में बुलंदशहर जिले के एक कार्यक्रम में शिवपाल ने खुलकर निशाना साधा। “रालोद ने हमारा साथ छोड़ा, धोखा दिया। जयंत चौधरी किसान नेता बनते हैं, लेकिन भाजपा के साथ जाकर किसानों को बेच दिया। चरण सिंह जी की विरासत को कलंकित किया,” उन्होंने कहा। शिवपाल ने यह भी इशारा किया कि 2027 विधानसभा चुनाव में सपा रालोद को सबक सिखाएगी।
जयंत के करीबी अनुराग चौधरी, जो रालोद के प्रदेश उपाध्यक्ष हैं, ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर तीखा पलटवार किया। “शिवपाल जी खुद अवसर के भूखे हैं। 2017 में उन्होंने मुलायम सिंह को धोखा दिया, आज हमें दोष दे रहे हैं। जयंत भैया ने किसानों और जाट समाज के हित में फैसला लिया। भाजपा सरकार ने एमएसपी की गारंटी दी, जो सपा कभी नहीं दे सकी।” अनुराग ने शिवपाल पर निशाना साधते हुए कहा कि सपा का ‘परिवारवाद’ ही इसका पतन कारण है। “अखिलेश चाचा को सुनते ही नहीं, तो जयंत को क्या सुनेंगे?” उन्होंने व्यंग्य कसा।
यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जहां #ShivpalVsJayant ट्रेंड कर रहा है।यह विवाद यूपी की राजनीति को और ध्रुवीकरण की ओर ले जा रहा है। सपा के लिए यह आंतरिक संकट है—शिवपाल का बयान अखिलेश को असहज कर सकता है। वहीं, भाजपा इसे भुनाने की कोशिश में लगी है। विशेषज्ञों का मानना है कि पश्चिमी यूपी में जाट वोट बंटेगा, जो 2027 चुनाव को रोचक बनाएगा। जयंत चौधरी ने अभी चुप्पी साध रखी है, लेकिन उनके करीबी का पलटवार साफ संदेश देता है—गठबंधन टूटा, लेकिन दुश्मनी बरकरार। क्या यह यादव-जाट टकराव का नया दौर है? समय ही बताएगा।
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