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उत्तर प्रदेश बीजेपी की रणनीति: 2027 चुनाव के लिए ओबीसी-ब्राह्मण गठजोड़ की तैयारी
लखनऊ, 1 अगस्त 2025। UP BJP: उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, 2027 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए बीजेपी एक ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) चेहरे को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। इस रणनीति का मुख्य उद्देश्य ओबीसी समुदाय के साथ-साथ ब्राह्मण मतदाताओं का समर्थन हासिल करना है, जो उत्तर प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। पार्टी के भीतर चल रही चर्चाओं के अनुसार, बीजेपी आलाकमान ने उत्तर प्रदेश के लिए नए नेतृत्व के चयन में सामाजिक समीकरणों को प्राथमिकता दी है।
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हाल ही में बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में 70 जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की थी, जिसमें 60% ओबीसी और ब्राह्मण समुदाय से चुने गए। इस कदम से स्पष्ट है कि पार्टी 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए सामाजिक गठजोड़ को मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि ओबीसी समुदाय से किसी प्रभावशाली नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर बीजेपी न केवल अपनी परंपरागत ओबीसी वोट बैंक को मजबूत करना चाहती है, बल्कि ब्राह्मण समुदाय को भी अपने साथ जोड़े रखना चाहती है, जो पिछले कुछ चुनावों में पार्टी का मजबूत समर्थक रहा है। 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को 82% ब्राह्मण वोट मिले थे, जो 2007 में बसपा को समर्थन देने के बाद फिर से बीजेपी की ओर लौट आए थे।
हालांकि, कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ब्राह्मण समुदाय में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ठाकुर समुदाय के बढ़ते प्रभाव को लेकर कुछ असंतोष है। इस स्थिति को संतुलित करने के लिए बीजेपी ओबीसी नेतृत्व को आगे लाकर सामाजिक समीकरणों को साधने की कोशिश कर रही है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “2027 के चुनावों में बीजेपी का लक्ष्य सामाजिक गठजोड़ को और मजबूत करना है। ओबीसी और ब्राह्मण समुदाय का संयुक्त समर्थन हमें निर्णायक बढ़त दिला सकता है।”हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर चल रही चर्चाओं के अनुसार, बीजेपी आलाकमान को प्रदेश अध्यक्ष के लिए छह नाम भेजे गए हैं, जिनमें ब्राह्मण, ओबीसी, और दलित समुदाय के नेता शामिल हैं।
इनमें डॉ. दिनेश शर्मा और हरीश द्विवेदी (ब्राह्मण), धर्मपाल सिंह और बीएल वर्मा (ओबीसी), तथा विद्यासागर सोनकर और राम शंकर कठेरिया (दलित) के नाम प्रमुख हैं। हालांकि, यह जानकारी अभी तक आधिकारिक रूप से पुष्ट नहीं हुई है। बीजेपी ने उत्तर प्रदेश में अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने के लिए हाल ही में 98 संगठनात्मक जिलों में नए अध्यक्षों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद समाप्त हो चुका है, और अब नए राष्ट्रीय और राज्य इकाई अध्यक्षों के चयन की प्रक्रिया तेज हो गई है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने नए जिला अध्यक्षों की नियुक्ति पर बधाई दी है, और उनका मानना है कि यह नया नेतृत्व पार्टी को 2027 के विधानसभा चुनावों में मजबूती प्रदान करेगा। योगी ने कहा, “नए नेतृत्व के साथ बीजेपी उत्तर प्रदेश में सुरक्षा और सुशासन के अभियान को और तेज करेगी।” हालांकि, विपक्षी दलों, खासकर समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा), ने बीजेपी की इस रणनीति पर सवाल उठाए हैं। सपा नेता अभिषेक यादव ने कहा, “बीजेपी केवल जातिगत समीकरणों के आधार पर वोट हासिल करने की कोशिश कर रही है, लेकिन जनता अब बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर जवाब मांग रही है।”
जैसा कि बीजेपी अपने नए प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति की ओर बढ़ रही है, उत्तर प्रदेश की राजनीति में सामाजिक समीकरणों और रणनीतिक गठजोड़ का महत्व एक बार फिर उजागर हो रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बीजेपी का यह दांव 2027 के चुनावों में उसे अपेक्षित सफलता दिला पाएगा।
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