वाशिंगटन, 5 अगस्त 2025: Trump’s New Visa Policy: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने एक नई वीजा नीति की घोषणा की है, जो भारत जैसे देशों के नागरिकों के लिए अमेरिका की यात्रा को और चुनौतीपूर्ण बना सकती है। इस नीति के तहत, उच्च वीजा ओवरस्टे दर वाले देशों के पर्यटकों और व्यवसायिक यात्रियों को B-1 (बिजनेस) और B-2 (पर्यटन) वीजा के लिए 5,000 से 15,000 डॉलर (लगभग 4.2 लाख से 12.6 लाख रुपये) तक का बॉन्ड जमा करना होगा। यह एक साल का पायलट प्रोग्राम है, जो 15 अगस्त 2025 से शुरू होगा। इस नीति का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वीजा धारक समय पर अमेरिका छोड़ दें।
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अमेरिकी विदेश विभाग ने सोमवार को घोषणा की कि जिन देशों में वीजा ओवरस्टे की दर अधिक है, उनके नागरिकों को वीजा स्वीकृति से पहले बॉन्ड जमा करना होगा। प्रभावित देशों की सूची 15 अगस्त से पहले प्रकाशित की जाएगी। हालांकि, भारत का नाम अभी स्पष्ट रूप से उल्लेखित नहीं है, लेकिन भारत उन देशों में शामिल हो सकता है, क्योंकि भारतीय नागरिकों की एक बड़ी संख्या B-1/B-2 वीजा पर अमेरिका यात्रा करती है। 2024 में, 11 मिलियन से अधिक गैर-आप्रवासी वीजा जारी किए गए, जिनमें भारत, मैक्सिको, ब्राजील और चीन जैसे देशों के यात्री शामिल थे। इसके अतिरिक्त, ट्रंप प्रशासन ने गैर-आप्रवासी वीजा के लिए 250 डॉलर (लगभग 21,000 रुपये) का “वीजा इंटीग्रिटी फी” भी लागू किया है, जो मौजूदा 185 डॉलर की वीजा आवेदन फीस के अतिरिक्त है।
इस प्रकार, कुल लागत अब 435 डॉलर (लगभग 36,000 रुपये) हो गई है। यह फीस पर्यटकों, छात्रों, व्यवसायिक यात्रियों और अस्थायी श्रमिकों पर लागू होगी। हालांकि, वीजा-मुक्त देशों (जैसे यूरोप के अधिकांश देश, ऑस्ट्रेलिया, जापान) और कनाडा के नागरिकों पर यह नियम लागू नहीं होगा। इस नीति ने वैश्विक पर्यटन और व्यापार उद्योग में चिंता पैदा कर दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति भारत जैसे देशों के मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए अमेरिका की यात्रा को और महंगा और जटिल बना सकती है। उदाहरण के लिए, एक चार सदस्यीय भारतीय परिवार को पर्यटन के लिए 52 लाख रुपये तक का बॉन्ड जमा करना पड़ सकता है, जो यात्रा के बाद वापस हो सकता है, बशर्ते सभी नियमों का पालन हो।
भारत-अमेरिका संबंधों पर भी इस नीति का असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह नीति भारत के उन लोगों के लिए चुनौती बन सकती है, जो पर्यटन, व्यवसाय, या शिक्षा के लिए अमेरिका जाना चाहते हैं। साथ ही, यह नीति ट्रंप की पहली सरकार में शुरू किए गए एक समान प्रोग्राम का पुनर्जनन है, जिसे 2020 में महामारी के कारण पूरी तरह लागू नहीं किया जा सका था। भारतीय प्रवासियों और छात्रों के लिए यह नीति विशेष रूप से चिंताजनक है, क्योंकि पहले से ही H-1B और F-1 वीजा पर सख्ती बढ़ रही है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि भारतीय आवेदकों को वीजा आवेदन से पहले नवीनतम नियमों की जानकारी लेनी चाहिए और किसी भी तरह की गलती से बचना चाहिए।
क्या करें भारतीय आवेदक?
आधिकारिक जानकारी की पुष्टि करें: अमेरिकी दूतावास की वेबसाइट (usembassy.gov) या स्थानीय वीजा कार्यालय से नवीनतम नियमों की जानकारी लें।
बॉन्ड की राशि: सुनिश्चित करें कि आपके पास बॉन्ड के लिए आवश्यक राशि उपलब्ध है, जो यात्रा के बाद वापसी योग्य हो सकती है।
दस्तावेजों की पूर्णता: सभी आवश्यक दस्तावेजों को सावधानीपूर्वक तैयार करें, क्योंकि सख्त जांच की जाएगी।
यह नीति भारत और अमेरिका के बीच लोगों के आपसी संबंधों को प्रभावित कर सकती है, जो दोनों देशों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत सरकार को इस मुद्दे पर अमेरिका के साथ बातचीत करनी चाहिए ताकि भारतीय नागरिकों के हितों की रक्षा हो सके।
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