नई दिल्ली, 18 अगस्त 2025। Trump Tariffs: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ ने वैश्विक व्यापार और कूटनीति में हलचल मचा दी है। इस चुनौती का जवाब देने के लिए भारत अपनी कूटनीतिक रणनीति को तेजी से मजबूत कर रहा है। इसी कड़ी में, चीन के विदेश मंत्री वांग यी 18 अगस्त 2025 को नई दिल्ली पहुंच रहे हैं। उनके इस दौरे का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ मुलाकात कर ट्रंप के टैरिफ के खिलाफ एक साझा रणनीति तैयार करना है। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब भारत और चीन दोनों ही ट्रंप की व्यापार नीतियों से प्रभावित हैं।
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वांग यी का यह दौरा भारत-चीन सीमा विवाद पर 24वें दौर की विशेष प्रतिनिधि वार्ता का हिस्सा है। मंगलवार को डोभाल के साथ उनकी बैठक में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर तनाव कम करने और सीमा प्रबंधन पर चर्चा होगी। इसके अलावा, सोमवार शाम को जयशंकर के साथ उनकी द्विपक्षीय बातचीत में व्यापार, कनेक्टिविटी, और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे मुद्दों पर जोर दिया जाएगा। दोनों देशों के बीच सीधी उड़ानों की बहाली पर भी विचार हो सकता है, जो आपसी विश्वास बढ़ाने का एक कदम होगा।
यह दौरा ट्रंप की टैरिफ नीति के संदर्भ में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। ट्रंप ने भारत पर रूसी तेल की खरीद को लेकर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, जिसके बाद कुल टैरिफ 50% हो गया है। दूसरी ओर, चीन भी ट्रंप के 40% से अधिक टैरिफ का सामना कर रहा है। इस स्थिति ने भारत और चीन को एकजुट होने के लिए प्रेरित किया है, ताकि वे संयुक्त रूप से इस आर्थिक दबाव का मुकाबला कर सकें।
वांग यी मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे। यह बैठक इसलिए भी अहम है, क्योंकि पीएम मोदी 31 अगस्त से 1 सितंबर तक शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के लिए चीन जाएंगे। इस दौरान वे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। यह शिखर सम्मेलन भारत, चीन और रूस के बीच समन्वय को और मजबूत करने का अवसर प्रदान करेगा।
भारत की रणनीति स्पष्ट है: वह ट्रंप के दबाव में झुके बिना अपनी राष्ट्रीय हितों की रक्षा करेगा। जयशंकर की 21 अगस्त को मॉस्को यात्रा और डोभाल की हालिया रूस यात्रा इस बात का संकेत है कि भारत रूस और चीन के साथ अपने संबंधों को और गहरा कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कूटनीतिक गतिविधियां ट्रंप की नीतियों के खिलाफ एक सामूहिक रुख बनाने की दिशा में एक कदम हैं।
इस बीच, भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार के संकेत भी दिख रहे हैं। दोनों देश लिपुलेक, शिपकी ला, और नाथु ला दर्रों के माध्यम से सीमा व्यापार को पुनर्जनन पर विचार कर रहे हैं, जो 2020 के गलवान संघर्ष के बाद से बंद है। साथ ही, कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली और चीनी नागरिकों के लिए पर्यटक वीजा शुरू करने जैसे कदम भी सकारात्मक माहौल का संकेत देते हैं।
ट्रंप के टैरिफ के खिलाफ भारत की यह कूटनीतिक रणनीति न केवल आर्थिक दबाव को कम करने की दिशा में है, बल्कि यह वैश्विक मंच पर भारत की स्वतंत्र और मजबूत स्थिति को भी रेखांकित करती है। वांग यी का यह दौरा और आगामी SCO शिखर सम्मेलन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
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