नई दिल्ली, 26 अगस्त 2025। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जापान यात्रा से पहले भारत को एक बड़ी आर्थिक सौगात मिलने जा रही है। जापानी कंपनी तोशिबा ने भारत में ₹70,000 करोड़ के निवेश की घोषणा की है, जो देश के बुनियादी ढांचे और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में क्रांति लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह निवेश 29 अगस्त 2025 से शुरू होने वाली PM मोदी की तीन दिवसीय जापान यात्रा के दौरान होने वाले भारत-जापान शिखर सम्मेलन के ठीक पहले घोषित किया गया है।
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इस कदम से दोनों देशों के बीच विशेष रणनीतिक और वैश्विक साझेदारी को और मजबूती मिलेगी। तोशिबा का यह निवेश मुख्य रूप से भारत के हाई-स्पीड रेल नेटवर्क, स्मार्ट सिटी परियोजनाओं, और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में केंद्रित होगा। विशेष रूप से, मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर, जो जापान की शिंकान्सेन बुलेट ट्रेन तकनीक पर आधारित है, इस निवेश का प्रमुख हिस्सा होगा। इस परियोजना की कुल लागत ₹1.08 लाख करोड़ है, जिसमें जापान पहले ही 0.1% ब्याज पर ऋण प्रदान कर चुका है।
तोशिबा की यह नई पूंजी भारत में रेलवे बुनियादी ढांचे को और तेजी देगी, जिससे यात्रा समय में कमी और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।इसके अलावा, तोशिबा भारत में सेमीकंडक्टर और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसे उभरते क्षेत्रों में भी निवेश करेगी। कंपनी सेंडाई, मियागी प्रान्त में अपने अत्याधुनिक चिप-निर्माण उपकरण कारखाने में PM मोदी के दौरे की योजना बना रही है, जहां वह नवीनतम तकनीकों का प्रदर्शन करेगी। यह निवेश भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था और तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ाने में सहायक होगा।
जापान ने पहले 2022 में भारत में 5 ट्रिलियन येन (लगभग ₹3.2 लाख करोड़) के निवेश का लक्ष्य रखा था, जिसे अब बढ़ाकर 10 ट्रिलियन येन (₹5.7 लाख करोड़) कर दिया गया है। तोशिबा का ₹70,000 करोड़ का योगदान इस लक्ष्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह निवेश न केवल आर्थिक विकास को गति देगा, बल्कि भारत और जापान के बीच रणनीतिक सहयोग को भी मजबूत करेगा, खासकर एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र की दिशा में।PM मोदी और जापानी प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के बीच होने वाली शिखर वार्ता में आर्थिक सुरक्षा, रक्षा, और तकनीकी सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।
यह निवेश भारत में रोजगार सृजन, कौशल विकास, और बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह कदम भारत को वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कारनामा साबित होगा।
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