इस्लामाबाद/पेशावर, 22 सितंबर 2025। पाकिस्तान की अशांत सीमावर्ती इलाकों में एक बार फिर मानवीय त्रासदी ने तांडव मचा दिया है। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के तीराह घाटी स्थित माटरे दारा गांव पर पाकिस्तानी वायुसेना (पीएएफ) ने अपने ही देश के नागरिकों को निशाना बनाते हुए रात के अंधेरे में 8 बम गिराए। इस हवाई हमले में कम से कम 30 निर्दोष लोग मारे गए, जिनमें महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं। दर्जनों अन्य घायल बताए जा रहे हैं, जबकि गांव की सूरत गाजा की तरह वीरान हो चुकी है।
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स्थानीय मीडिया और खुफिया स्रोतों के अनुसार, यह घटना 21 सितंबर की रात करीब 2 बजे घटी, जब चीनी मूल के जेएफ-17 थंडर फाइटर जेट्स ने एलएस-6 प्रिसिजन गाइडेड बमों का इस्तेमाल किया। घटना की शुरुआत तब हुई जब पाकिस्तानी सेना ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के कथित ठिकानों को निशाना बनाने का दावा किया। लेकिन स्थानीय निवासियों और प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि हमला आम नागरिकों पर हुआ। “हमारे गांव में कोई आतंकी नहीं था। रात को सोते हुए बम गिरे और सब कुछ तबाह हो गया,” एक जीवित बचे ग्रामीण ने बताया।
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और तस्वीरें दिल दहला देने वाली हैं—बच्चों की लाशें चारपाइयों पर पड़ी हैं, महिलाओं के शव चादरों से ढके हुए हैं। घर ढह गए, मवेशी मारे गए और सड़कें मलबे से पट गईं। अम्नेस्टी इंटरनेशनल की डिप्टी रीजनल डायरेक्टर इसाबेल लासी ने इसे “नागरिकों की जान जोखिम में डालने की लापरवाही” करार दिया है। संगठन ने पाकिस्तानी सरकार से तत्काल, स्वतंत्र जांच और पीड़ितों को मुआवजा देने की मांग की है।पाकिस्तानी सेना ने हमले की जिम्मेदारी से इनकार करते हुए इसे “आतंकियों के विस्फोटक गोदाम के फटने” का हादसा बताया है।
आर्मी के प्रवक्ता ने दावा किया कि 12-14 आतंकी और 8-10 नागरिक मारे गए, लेकिन यह दावा खुफिया रिपोर्टों से मेल नहीं खाता। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सटीक बमों का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन है। खैबर पख्तूनख्वा, अफगानिस्तान सीमा से सटा यह इलाका लंबे समय से संघर्ष का केंद्र रहा है। हाल ही में भारत की ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियां बढ़ी हैं, जिसके जवाब में सेना की कार्रवाइयां तेज हो गईं। लेकिन ये ऑपरेशन बार-बार नागरिकों की जान ले रहे हैं। जून में अम्नेस्टी ने ड्रोन हमलों पर चिंता जताई थी, जो अब हवाई हमलों में बदल गए हैं।
यह घटना पाकिस्तान की आंतरिक अस्थिरता को उजागर करती है। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने अफगानिस्तान से आतंकवाद रोकने की अपील की है, लेकिन घरेलू मोर्चे पर सेना की रणनीति सवालों के घेरे में है। स्थानीय पश्तून समुदाय में आक्रोश भड़क रहा है, जो सेना पर “अपनों को मारने” का आरोप लगा रहा है। वैश्विक समुदाय को अब हस्तक्षेप करना होगा ताकि ऐसी त्रासदियां रुकें। क्या पाकिस्तान कभी अपने नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देगा? यह सवाल अनुत्तरित है।
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