नई दिल्ली, 30 अगस्त 2025। दिल्ली के कपड़ा बाजार, जो कभी देश की आर्थिक धड़कन का हिस्सा माना जाता था, आज अभूतपूर्व संकट से जूझ रहा है। चांदनी चौक और सदर बाजार जैसे प्रमुख व्यापारिक केंद्रों में कारोबार करने वाले एक अनुभवी कपड़ा कारोबारी ने अपनी व्यथा साझा करते हुए कहा कि उनके 50 साल के व्यापारिक अनुभव में ऐसी बेबसी पहले कभी नहीं देखी। इस संकट ने न केवल उनके व्यवसाय को प्रभावित किया है, बल्कि 600 से अधिक कर्मचारियों की नौकरियों पर भी खतरा मंडरा रहा है।
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यह कारोबारी, जो पिछले पांच दशकों से कपड़ा व्यापार में सक्रिय हैं, ने बताया कि ऑनलाइन रिटेल और बड़े कॉरपोरेट स्टोर्स की बढ़ती पैठ ने छोटे और मझोले व्यापारियों को हाशिए पर ला दिया है। पहले जहां चांदनी चौक की गलियां ग्राहकों की भीड़ से गुलजार रहती थीं, वहीं अब दुकानों पर सन्नाटा पसरा है। सस्ते आयातित कपड़ों, खासकर चीन और बांग्लादेश से आने वाले सस्ते सामान ने, स्थानीय व्यापारियों की कमर तोड़ दी है।
इसके अलावा, जीएसटी और जटिल कर प्रणाली ने छोटे व्यापारियों के लिए लागत बढ़ा दी है, जिससे उनकी प्रतिस्पर्धी क्षमता कम हो गई है।कारोबारी ने बताया कि कोविड-19 महामारी के बाद से बाजार पूरी तरह उबर नहीं पाया है। लॉकडाउन के दौरान कई दुकानें बंद हो गईं, और जो बचीं, वे अब मंदी की मार झेल रही हैं। ग्राहकों की खरीदारी की आदतों में बदलाव, विशेष रूप से ऑनलाइन शॉपिंग की बढ़ती लोकप्रियता, ने पारंपरिक बाजारों को भारी नुकसान पहुंचाया है।
इस कारोबारी ने बताया कि उनकी दो दुकानों में काम करने वाले 600 कर्मचारियों की आजीविका अब खतरे में है, क्योंकि बिक्री में भारी गिरावट के कारण उन्हें वेतन देना मुश्किल हो रहा है।उन्होंने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। कारोबारी का कहना है कि छोटे व्यापारियों को राहत देने के लिए विशेष आर्थिक पैकेज और सरल कर नीतियों की जरूरत है। इसके अलावा, सस्ते आयात पर नियंत्रण और स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने की नीतियां भी लागू की जानी चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को ऑनलाइन रिटेल प्लेटफॉर्म्स पर सख्त नियम लागू करने चाहिए, ताकि छोटे व्यापारियों को बराबर का मौका मिले।दिल्ली के अन्य कपड़ा व्यापारियों ने भी इस कारोबारी की बात का समर्थन किया है। व्यापारी संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो दिल्ली के कपड़ा बाजार में बड़े पैमाने पर छंटनी और दुकानें बंद होने का खतरा है। यह संकट न केवल व्यापारियों, बल्कि उन हजारों परिवारों को भी प्रभावित करेगा, जो इन बाजारों पर निर्भर हैं। सरकार और प्रशासन से उम्मीद है कि वे इस संकट को गंभीरता से लें और छोटे व्यापारियों को बचाने के लिए ठोस कदम उठाएं।
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