लखनऊ, 30 सितंबर 2025। लखनऊ का सहारा सिटी, जो कभी सहाराश्री सुब्रत रॉय के साम्राज्य की शान था, अब ढहने की कगार पर है। 31 साल पुराना सहारा समूह, जिसने शहर की पहचान बनाई, अब सरकारी कार्रवाइयों के घेरे में है। लखनऊ नगर निगम जल्द ही गोमती नगर में स्थित सहारा सिटी की 130 एकड़ जमीन को सील करने की तैयारी में है। सुब्रत रॉय के निधन के बाद सरकारी एजेंसियों ने सहारा की संपत्तियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है, और यह कार्रवाई उसी कड़ी का हिस्सा है।
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1994-95 में मुलायम सिंह यादव सरकार के दौरान सहारा समूह को नगर निगम ने 170 एकड़ जमीन लीज पर दी थी। इसमें से 130 एकड़ जमीन लाइसेंस डीड के तहत आवासीय और व्यावसायिक परियोजनाओं के लिए आवंटित थी, लेकिन सहारा ने नियमों की अनदेखी करते हुए इस जमीन पर लग्जरी बंगले, 5000 क्षमता वाला सभागार, मॉडर्न थिएटर, स्टेडियम, हेलीपैड और हवाई अड्डे जैसे स्कैनर जैसी सुविधाएं बना लीं। यह सब लाइसेंस डीड की शर्तों का स्पष्ट उल्लंघन था।
नगर आयुक्त गौरव कुमार ने बताया कि सहारा ने नियम तोड़े, जिसके चलते यह कार्रवाई जरूरी हो गई है। नगर निगम ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर करने की भी योजना बनाई है, ताकि कानूनी अड़चनें न आएं। सीलिंग की प्रक्रिया में सहारा सिटी के सभी गेट बंद कर दिए जाएंगे। परिसर में मौजूद कर्मचारी, सुरक्षा गार्ड और केयरटेकर को बाहर निकाला जाएगा। केवल एक गेट अस्थायी रूप से आवाजाही के लिए खुला रहेगा, जिसे बाद में पूरी तरह सील कर दिया जाएगा।
इसके बाद नगर निगम पूरे परिसर को अपने कब्जे में लेगा और अपनी सुरक्षा व्यवस्था तैनात करेगा। सहारा समूह ने नोटिस का जवाब दिया था, लेकिन नगर निगम ने इसे खारिज कर दिया। यह कार्रवाई सहारा के आर्थिक और कानूनी संकटों का प्रतीक है। सुब्रत रॉय के निधन के बाद समूह की संपत्तियां पहले ही नीलामी और जांच के दायरे में हैं। सहारा सिटी, जो कभी लखनऊ की शान थी, अब खाली होने की कगार पर है।
यह घटना न केवल सहारा समूह के पतन की कहानी कहती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि नियमों की अनदेखी कितनी भारी पड़ सकती है। लखनऊवासियों के लिए यह एक युग का अंत है, जो सहारा के सुनहरे दिनों की याद दिलाता है। अब सवाल यह है कि क्या सहारा समूह इस संकट से उबर पाएगा या इसका साम्राज्य पूरी तरह इतिहास बन जाएगा?
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