सूरत, 27 अगस्त 2025। Textile Industry in Trouble: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय निर्यात पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा ने भारत के कपड़ा उद्योग को गहरे संकट में डाल दिया है। 27 अगस्त, 2025 से लागू इस टैरिफ के साथ कुल टैरिफ 50% हो गया है, जो वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक है। इस कदम ने भारत के $37 बिलियन के कपड़ा और परिधान निर्यात को झटका दिया है, जिसमें से लगभग $11 बिलियन का निर्यात अमेरिका को होता है। फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) के अनुसार, सूरत, नोएडा और तिरुपुर जैसे प्रमुख कपड़ा केंद्रों में उत्पादन ठप हो गया है, जिससे लाखों नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है।
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भारत का कपड़ा उद्योग, जो 10 करोड़ से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है, अब बांग्लादेश और वियतनाम जैसे कम टैरिफ वाले देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहा है। बांग्लादेश और वियतनाम पर क्रमशः 20% और 19% टैरिफ लागू हैं, जिसके कारण भारतीय उत्पादों की कीमतें 30-35% तक बढ़ गई हैं, जो अमेरिकी बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को कम कर रही हैं। सूरत और नोएडा में छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) पर आधारित कपड़ा इकाइयों ने नए ऑर्डर लेना बंद कर दिया है, क्योंकि अमेरिकी खरीदार 50% टैरिफ का बोझ उठाने को तैयार नहीं हैं। तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव कुमार दुरैस्वामी ने कहा, “हम नुकसान कम करने की कोशिश में हैं, लेकिन 50% टैरिफ पर नए ऑर्डर लेना असंभव है।”
सूरत, जो भारत के कपड़ा और रत्न-आभूषण निर्यात का केंद्र है, में स्थिति विशेष रूप से गंभीर है। यहां के निर्माता पहले से ही वैश्विक मांग में कमी और स्थानीय उत्पादन लागत में वृद्धि से जूझ रहे हैं। नए टैरिफ ने ऑर्डर रद्द होने और स्टॉक जमा होने की आशंका को बढ़ा दिया है। क्रिसिल रेटिंग्स के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष में कपड़ा उद्योग की वृद्धि 3-5% तक सिमट सकती है, जो पिछले साल की तुलना में आधी है।
नोएडा और गुरुग्राम में फैशन परिधानों पर निर्भर इकाइयां भी प्रभावित हैं, जहां उत्पादन रोक दिया गया है और कई फैक्ट्रियों में छंटनी शुरू हो गई है। मुंबई की क्रिएटिव ग्रुप जैसी कंपनियों ने चेतावनी दी है कि उन्हें अपनी आठ में से दो फैक्ट्रियां बंद करनी पड़ सकती हैं, जिससे 6,000-7,000 नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं।
कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (CITI) ने सरकार से तत्काल वित्तीय सहायता और कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करने की मांग की है। CITI के चेयरमैन राकेश मेहरा ने कहा, “इस संकट से निपटने के लिए नीतिगत समर्थन और ब्याज सब्सिडी योजनाओं की आवश्यकता है।”
FIEO ने सुझाव दिया कि भारत को यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका जैसे वैकल्पिक बाजारों की तलाश करनी चाहिए, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि नए बाजार विकसित करना समय लेने वाला है। ट्रंप ने भारत के रूस से तेल खरीद को इस टैरिफ का कारण बताया है, जिसे भारत ने खारिज कर दिया है।
निर्यातकों को उम्मीद है कि भारत-अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता से टैरिफ में कमी आएगी। तब तक, उद्योग सरकारी हस्तक्षेप और निर्यात प्रोत्साहन मिशन जैसे उपायों पर निर्भर है। यदि यह स्थिति लंबे समय तक बनी रही, तो भारत का कपड़ा उद्योग न केवल बाजार हिस्सेदारी खो सकता है, बल्कि 2030 तक $100 बिलियन के निर्यात लक्ष्य को भी प्राप्त करना मुश्किल हो जाएगा।
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