कनाडा, 17 सिंतबर 2025। Blackout Threat: अमेरिका स्थित खालिस्तानी आतंकी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) के प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नू ने एक बार फिर भारत के खिलाफ जहर उगला है। हाल ही में जारी एक वीडियो और प्रेस रिलीज में पन्नू ने दिवाली 2025 को ‘ब्लैकआउट’ करने की धमकी दी है, जबकि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के सिख समुदाय से जुड़े बयान को खुलकर समर्थन दिया है। पन्नू की यह नई साजिश भारत की एकता और सांस्कृतिक उत्सवों को निशाना बनाने वाली लगती है, जिससे सुरक्षा एजेंसियां हाई अलर्ट पर हैं।
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पन्नू ने अमृतसर-हरिद्वार ट्रेन पर खालिस्तानी नारे लिखवाने का दावा किया और कहा कि ‘अयोध्या से हरिद्वार तक, दिवाली 2025 ब्लैकआउट होगी।’ यह धमकी हिंदू त्योहार दिवाली को पटाखों और रोशनी से जोड़कर दी गई है, जहां पन्नू ने सिख युवाओं से अपील की कि वे हिंदू मंदिरों में पटाखे फोड़ने न दें। पन्नू का यह बयान 2024 की दिवाली पर पटाखों को लेकर जारी की गई धमकियों की याद दिलाता है, जब उसने हिंदू मंदिरों पर हमले की चेतावनी दी थी।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह खालिस्तानी तत्वों को भड़काने का प्रयास है, जो पंजाब और उत्तर भारत में सांप्रदायिक तनाव पैदा कर सकता है। राहुल गांधी के संदर्भ में पन्नू ने उनकी वाशिंगटन डीसी यात्रा के दौरान दिए बयान को ‘साहसी और ऐतिहासिक’ बताया। राहुल ने कहा था, ‘भारत में लड़ाई यह है कि क्या सिखों को पगड़ी और कड़ा पहनने, गुरुद्वारे जाने की इजाजत मिलेगी।’ पन्नू ने इसे सिखों पर ‘अस्तित्व का खतरा’ मानते हुए समर्थन दिया और कहा कि यह एसएफजे के खालिस्तान रेफरेंडम अभियान को मजबूत करता है।
पन्नू ने दावा किया कि राहुल का बयान 1947 से सिखों पर हो रहे अत्याचारों की पुष्टि करता है। इसके अलावा, पन्नू ने पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वारिंग और अमृतसर सांसद गुरजीत सिंह औजला को धमकी दी, जो राहुल को गुरुद्वारा बाबा बूढ़ा साहिब में सिरोपा दिलाने वाले थे। पन्नू ने उन्हें ‘प्रो-खालिस्तान सिखों का निशाना’ बताया, क्योंकि गांधी परिवार को 1984 के सिख विरोधी दंगों का जिम्मेदार ठहराया।शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने राहुल को सिरोपा देने की घटना की निंदा की है, इसे ‘स्वीकार्य नहीं’ कहा।
पन्नू की धमकियां भारत सरकार के लिए चिंता का विषय हैं, खासकर जब वह अमेरिका और कनाडा में सक्रिय है। भारत ने पन्नू को आतंकी घोषित किया है और उसके प्रत्यर्पण की मांग की है, लेकिन इंटरपोल ने अभी तक सहयोग नहीं किया। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी धमकियां सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को कट्टर बनाने का हिस्सा हैं। केंद्र सरकार ने पंजाब में सुरक्षा बढ़ा दी है, जबकि विपक्ष पर सिख वोट बैंक की राजनीति का आरोप लग रहा है। पन्नू की यह साजिश न केवल त्योहारों को प्रभावित करेगी, बल्कि राष्ट्रीय एकता को भी चुनौती देगी। क्या भारत इन खतरों का मुकाबला कर पाएगा? समय ही बताएगा।
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