नई दिल्ली 16 अगस्त 2025। Tejas Mark2: भारत अपनी रक्षा तकनीक और स्वदेशी लड़ाकू विमानों के क्षेत्र में अभूतपूर्व प्रगति कर रहा है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के नेतृत्व में तेजस मार्क-2 और एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA) जैसी महत्वाकांक्षी परियोजनाएं न केवल भारत की सैन्य ताकत को बढ़ा रही हैं, बल्कि पड़ोसी देश पाकिस्तान को भी बेचैन कर रही हैं। तेजस मार्क-2 का प्रोटोटाइप चरण शुरू होने और स्वदेशी कावेरी इंजन के विकास में तेजी के साथ भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर मजबूती से कदम बढ़ा रहा है।
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तेजस मार्क-2, 4.5 जनरेशन का एक उन्नत लड़ाकू विमान, भारतीय वायुसेना की रीढ़ बनने की राह पर है। HAL के चेयरमैन डॉ. डीके सुनील ने हाल ही में बताया कि इस विमान का डिज़ाइन चरण पूरा हो चुका है, और यह अब प्रोटोटाइप चरण में प्रवेश कर चुका है। इसका पहला परीक्षण 2026 की तीसरी या चौथी तिमाही में होने की उम्मीद है, जबकि पहली उड़ान 2026 के अंत या 2027 की शुरुआत में संभव है। यह विमान न केवल पुराने मिग-21, मिराज 2000, और जगुआर जैसे विमानों की जगह लेगा, बल्कि क्षेत्रीय खतरों, विशेष रूप से पाकिस्तान के JF-17 और चीन के J-10C जैसे विमानों को कड़ी टक्कर देगा।
तेजस मार्क-2 की खासियतों में इसका शक्तिशाली GE F414-INS6 इंजन शामिल है, जो 98 किलोन्यूटन का थ्रस्ट प्रदान करता है, और इसे मैक 1.8 की गति तक ले जा सकता है। इसके अलावा, यह विमान उन्नत एवियोनिक्स, एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार, और स्वदेशी इन्फ्रारेड सर्च एंड ट्रैक (IRST) सिस्टम से लैस होगा। यह विमान 6.5 टन तक हथियार ले जाने में सक्षम होगा, जिसमें एस्ट्रा मार्क-2 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल और ब्रह्मोस-एनजी हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल शामिल हैं। इसकी डिज़ाइन में कम रडार दृश्यता (लो ऑब्ज़र्वेबिलिटी) और डिजिटल फ्लाई-बाय-वायर सिस्टम जैसी उन्नत विशेषताएं इसे साब ग्रिपेन E और डसॉल्ट राफेल जैसे विमानों का प्रतिस्पर्धी बनाती हैं।
तेजस मार्क-2 के प्रोटोटाइप का निर्माण इस साल के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है, और 2029 से इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू होगा। HAL ने 2034 तक भारतीय वायुसेना को 120-180 विमानों की आपूर्ति करने का लक्ष्य रखा है। इस परियोजना में 82% से अधिक स्वदेशी तकनीक का उपयोग होगा, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को और मजबूती देगा। बेंगलुरु और नासिक में मौजूदा तेजस मार्क-1A उत्पादन लाइनों को मार्क-2 के लिए परिवर्तित किया जाएगा, और L&T और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स जैसी निजी कंपनियां भी इसमें योगदान दे रही हैं।
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दूसरी ओर, AMCA, भारत का पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर जेट, 2028 तक अपने प्रोटोटाइप की पहली उड़ान भरने के लिए तैयार है। एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) के प्रतिनिधि वाजी राजपुरोहित ने ‘तरंग शक्ति 2024’ एयर एक्सरसाइज के दौरान बताया कि AMCA में ट्विन इंजन और इलेक्ट्रॉनिक पायलटिंग सिस्टम जैसे आधुनिक फीचर्स होंगे। यह विमान मल्टी-रोल और सिंगल-रोल मिशनों के लिए डिज़ाइन किया गया है, जो इसे अमेरिका के F-22 और चीन के J-20 जैसे स्टील्थ फाइटर्स के समकक्ष बनाता है।
AMCA के लिए स्वदेशी कावेरी टर्बोफैन इंजन का विकास भी तेजी से चल रहा है। DRDO की गैस टर्बाइन रिसर्च इस्टैब्लिशमेंट (GTRE) ने बेंगलुरु में एक उन्नत टेस्टिंग फैसिलिटी स्थापित की है, जो 130 किलोन्यूटन थ्रस्ट वाले इंजन का परीक्षण करेगी। कावेरी 2.0 इंजन, जो 110 kN वेट और 75 kN ड्राई थ्रस्ट प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है, 2031-32 तक तैयार होने की उम्मीद है। इस इंजन में सिंगल क्रिस्टल ब्लेड टेक्नोलॉजी और सुपर अलॉय जैसे उन्नत फीचर्स शामिल होंगे।
पाकिस्तान की बेचैनी का कारण स्पष्ट है। जहां भारत तेजस मार्क-2 और AMCA जैसे उन्नत विमानों के साथ अपनी वायुसेना को मजबूत कर रहा है, वहीं पाकिस्तान अभी भी अपने JF-17 फाइटर जेट्स के लिए चीन पर निर्भर है। हाल के वर्षों में JF-17 के प्रदर्शन ने क्षेत्रीय युद्ध अभ्यासों में निराश किया है, जिससे पाकिस्तान की चिंता बढ़ गई है। इसके अलावा, भारत और अमेरिका के बीच GE F414 इंजन के लिए हुआ समझौता और भारत में इन इंजनों के संयुक्त उत्पादन की योजना ने पाकिस्तान और चीन को और असहज कर दिया है।
HAL और DRDO की यह प्रगति भारत के रक्षा क्षेत्र में एक नया युग ला रही है। तेजस मार्क-2 के 2026 में प्रोटोटाइप उड़ान और AMCA के 2028 में उड़ान की संभावना ने भारत को वैश्विक रक्षा तकनीक में अग्रणी देशों की श्रेणी में ला खड़ा किया है। इसके अलावा, फ्रांस की सैफ्रान कंपनी के साथ साझेदारी में शक्ति 1H1 टर्बोशाफ्ट इंजन का विकास और ड्रोन के लिए ड्राई कावेरी इंजन का निर्माण भारत की रक्षा स्वायत्तता को और मजबूत करेगा।
पाकिस्तान के रक्षा विश्लेषकों ने तेजस मार्क-2 और AMCA की प्रगति पर चिंता जताई है। कुछ X पोस्ट्स में यह भी दावा किया गया कि भारत की यह रणनीति क्षेत्रीय संतुलन को बदल सकती है। हालांकि, ये पोस्ट्स केवल भावनाओं को दर्शाते हैं और तथ्यात्मक रूप से पुष्ट नहीं हैं। फिर भी, यह स्पष्ट है कि भारत की स्वदेशी रक्षा परियोजनाएं न केवल तकनीकी उपलब्धियां हैं, बल्कि क्षेत्रीय रणनीति में भी गेम-चेंजर साबित हो सकती हैं।भारत का यह कदम ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण को साकार कर रहा है।
तेजस मार्क-2 और AMCA जैसे प्रोजेक्ट्स न केवल भारतीय वायुसेना की ताकत बढ़ाएंगे, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की तकनीकी और रणनीतिक क्षमता को भी प्रदर्शित करेंगे। जैसे-जैसे ये विमान आकाश में उड़ान भरने को तैयार हैं, भारत का रक्षा क्षेत्र नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार है, और पड़ोसी देशों की बेचैनी इसकी सफलता का प्रमाण है।
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