मुंबई, 9 अगस्त 2025। England Series: भारत और इंग्लैंड के बीच 2025 में खेली गई पांच टेस्ट मैचों की पाटौदी ट्रॉफी सीरीज 2-2 की बराबरी पर खत्म हुई। शुभमन गिल की कप्तानी और गौतम गंभीर की कोचिंग में यह सीरीज भारतीय क्रिकेट के लिए एक नई शुरुआत थी। खासकर विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे दिग्गजों की टेस्ट क्रिकेट से विदाई के बाद। हालांकि, शुभमन गिल ने 754 रन बनाकर और चार शतकों के साथ बल्ले से शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन सीरीज ने भारतीय टीम की कुछ कमियों को उजागर किया। ये कमियां भविष्य में विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) के लिए खतरा बन सकती हैं। आइए, इन तीन प्रमुख कमियों और गिल-गंभीर के समक्ष समाधान की चुनौतियों पर नजर डालें।
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बल्लेबाजी की अनिश्चितता
विराट कोहली के रिटायरमेंट के बाद नंबर 4 पर शुभमन गिल ने शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन नंबर 3 पर स्थिर बल्लेबाज की कमी खटकी। यशस्वी जायसवाल और केएल राहुल ने ओपनिंग की, लेकिन नंबर 3 पर साई सुदर्शन और करुण नायर जैसे खिलाड़ियों को आजमाया गया, जो पूरी तरह प्रभावी नहीं रहे। विशेषज्ञों का मानना है कि नंबर 3 पर एक अनुभवी बल्लेबाज की जरूरत है, जो दबाव में पारी को संभाल सके। गिल और गंभीर को इस पोजीशन के लिए स्थायी समाधान ढूंढना होगा, जैसे सुदर्शन को और मौके देना या घरेलू क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करने वाले किसी नए चेहरे को मौका देना।
स्पिन गेंदबाजी में रणनीतिक भूलें
सीरीज में भारतीय स्पिनरों, खासकर कुलदीप यादव और रविंद्र जडेजा, का उपयोग सीमित रहा। रविचंद्रन अश्विन जैसे पूर्व खिलाड़ियों ने गिल और गंभीर की रणनीति पर सवाल उठाए, खासकर यह कि स्पिनरों को सही समय पर आक्रमण में नहीं लाया गया। उदाहरण के लिए, हैरी ब्रूक जैसे बल्लेबाजों ने तेज गेंदबाजों का फायदा उठाया, जब स्पिनरों से रन रोकने की रणनीति बनाई जा सकती थी। गंभीर को स्पिनरों के उपयोग में बेहतर रणनीति बनानी होगी, खासकर विदेशी परिस्थितियों में, जहां पिचें तेज गेंदबाजों के अनुकूल होती हैं।
फील्डिंग में लचर प्रदर्शन
भारतीय टीम की फील्डिंग इस सीरीज में कमजोर कड़ी रही। यशस्वी जायसवाल जैसे युवा खिलाड़ियों ने कई कैच छोड़े, जिसका खामियाजा टीम को भुगतना पड़ा। विशेषज्ञों ने गंभीर की रणनीति पर भी सवाल उठाए, जिसमें गहरी फील्डिंग और रक्षात्मक रवैया ज्यादा दिखा। गिल और गंभीर को फील्डिंग कोच के साथ मिलकर युवा खिलाड़ियों की चुस्ती और कैचिंग स्किल्स पर काम करना होगा। इसके लिए अभ्यास सत्रों में फील्डिंग ड्रिल्स को प्राथमिकता देनी होगी।
समाधान की राह
गिल और गंभीर को इन कमियों को दूर करने के लिए घरेलू और विदेशी टेस्ट सीरीज में खिलाड़ियों को लगातार मौके देने होंगे। नंबर 3 के लिए करुण नायर या अभिमन्यु ईस्वरन जैसे खिलाड़ियों को आजमाया जा सकता है। स्पिनरों की रणनीति में सुधार के लिए गंभीर को अनुभवी खिलाड़ियों की सलाह लेनी चाहिए। फील्डिंग में सुधार के लिए युवा खिलाड़ियों को विशेष प्रशिक्षण और मानसिक तैयारी पर ध्यान देना होगा। यह सीरीज भारतीय क्रिकेट के लिए एक सबक है, और गिल-गंभीर की जोड़ी को इसे भविष्य की जीत का आधार बनाना होगा।
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