लखनऊ, 25 अगस्त 2025। उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने 28 जुलाई 2025 को एक चौंकाने वाला दावा किया कि उनके खिलाफ बिजली विभाग के कुछ कर्मचारियों ने ‘सुपारी’ (हिटमैन कॉन्ट्रैक्ट) ली है। अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर शर्मा ने कहा कि कुछ अराजक तत्व, जो बिजली कर्मचारियों के रूप में छिपे हैं, उनकी छवि खराब करने और उन्हें निशाना बनाने की साजिश रच रहे हैं।
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यह बयान तब आया जब शर्मा विभाग में भ्रष्टाचार और निजीकरण योजनाओं के खिलाफ कर्मचारी यूनियनों के विरोध का सामना कर रहे हैं। शर्मा ने दावा किया कि ये तत्व उनकी दृढ़ता से परेशान हैं, क्योंकि वे उनके सामने नहीं झुकते। उन्होंने यह भी कहा कि “ईश्वर और जनता मेरे साथ हैं,” और निजीकरण का फैसला उनके अकेले का नहीं, बल्कि मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनी टास्क फोर्स का है।
निजीकरण विवाद और कर्मचारी यूनियन की मांग
शर्मा और बिजली विभाग के कर्मचारियों के बीच तनाव का मुख्य कारण निजीकरण की योजना है। 2009 में मायावती सरकार के दौरान आगरा में बिजली वितरण को टोरेंट पावर को सौंपा गया था, और अब पूरे राज्य में इसी मॉडल को लागू करने की योजना है। कर्मचारी यूनियनों, विशेष रूप से विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, ने इसका कड़ा विरोध किया है, क्योंकि उन्हें नौकरी छिनने का डर है।
यूनियन के वरिष्ठ नेता शैलेंद्र दुबे ने शर्मा पर निजीकरण को जबरन लागू करने का आरोप लगाया और उनकी बर्खास्तगी की मांग की। शर्मा ने जवाब में कहा कि पिछले तीन वर्षों में चार हड़तालें हुईं, जो बाहरी उकसावे पर थीं, और उच्च न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ कर्मचारी नेताओं ने उनके और उनके परिवार के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया।
क्या योगी सरकार पर बड़ा खतरा?
शर्मा के बयान ने राजनीतिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह साजिश केवल शर्मा तक सीमित नहीं हो सकती, बल्कि योगी आदित्यनाथ की सरकार को अस्थिर करने की कोशिश हो सकती है। शर्मा, जो 1988 बैच के गुजरात कैडर के पूर्व IAS अधिकारी और पीएम मोदी के करीबी माने जाते हैं, ने 2021 में BJP जॉइन की थी। उनकी ऊर्जा और नगर विकास मंत्रालय में नियुक्ति को मोदी का योगी सरकार में प्रभाव बढ़ाने के कदम के रूप में देखा गया।
हालांकि, शर्मा को वरिष्ठ अधिकारियों को स्थानांतरित करने का अधिकार नहीं है, जिसके कारण उनकी प्रशासनिक शक्तियां सीमित हैं। विपक्ष, खासकर सपा नेता अखिलेश यादव, ने बिजली संकट को लेकर सरकार की आलोचना की है, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या यह विवाद योगी सरकार की स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।
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