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सपा विधायक सुधाकर सिंह का निधन, मुलायम सिंह के खिलाफ कभी खुलेआम लड़े थे, अंतिम सांस तक रहे सियासी योद्धा

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सपा विधायक सुधाकर सिंह का निधन,

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लखनऊ/बलिया, 20 नवंबर 2025। सपा के वरिष्ठ विधायक और बलिया जिले के बैरिया विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीन बार के विधायक सुधाकर सिंह का 67 वर्ष की आयु में निधन हो गया। लंबे समय से बीमार चल रहे सुधाकर सिंह का गुरुवार देर रात लखनऊ के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। उनके निधन की खबर मिलते ही सपा मुख्यालय से लेकर बलिया तक शोक की लहर दौड़ गई।

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सुधाकर सिंह समाजवादी राजनीति के उन दुर्लभ चेहरों में थे, जिन्होंने कभी सत्ता के लिए समझौता नहीं किया। 1993 में वे पहली बार बैरिया से सपा के टिकट पर विधायक बने थे और 2012, 2017 तथा 2022 में लगातार तीन बार जीत दर्ज की। लेकिन उनकी पहचान सिर्फ सपा विधायक तक सीमित नहीं थी। 2005-2007 के दौर में जब मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री थे, सुधाकर सिंह ने पार्टी के भीतर भ्रष्टाचार और परिवारवाद के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया था।

उन्होंने अमर सिंह के प्रभाव, परिवार के सदस्यों को टिकट बांटने और सत्ता के दुरुपयोग के खिलाफ आवाज उठाई थी। उस समय उन्होंने मुलायम सिंह यादव के खिलाफ बगावत का झंडा बुलंद किया और कई सपा नेताओं के साथ मिलकर “सच्चे समाजवादी” गुट बनाया था। हालांकि बाद में अखिलेश यादव के नेतृत्व में सपा लौटे और 2012 से लगातार विधायक बने रहे। अखिलेश सरकार में उन्हें संसदीय कार्य एवं चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री का दायित्व भी मिला।

सियासी गलियारों में उनकी स्पष्टवादी छवि के लोग कायल थे। चाहे सपा सत्ता में हो या विपक्ष में, सुधाकर सिंह हमेशा अपनी बात बेबाकी से रखते थे। 2022 के चुनाव में भी उन्होंने बीजेपी के मजबूत उम्मीदवार को 20 हजार से अधिक वोटों से हराया था। सुधाकर सिंह के निधन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय राय सहित तमाम नेताओं ने गहरा शोक व्यक्त किया है।

अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा, “सुधाकर सिंह जी समाजवादी आंदोलन के सच्चे सिपाही थे। उनकी कमी हमेशा खलेगी।” उनके पार्थिव शरीर को शुक्रवार को बलिया ले जाया जाएगा, जहां बैरिया में अंतिम संस्कार होगा। हजारों कार्यकर्ता और समर्थक अंतिम दर्शन के लिए उमड़ने की उम्मीद है। सुधाकर सिंह का जाना न सिर्फ सपा के लिए बल्कि पूर्वांचल की उस पुरानी समाजवादी पीढ़ी के लिए बड़ा झटका है, जो विचारधारा के लिए सत्ता का मोह त्याग सकती थी।

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