Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि से ठीक 21 सितंबर 2025 की रात को लगने वाला सूर्य ग्रहण धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से चर्चा का विषय बना हुआ है। यह खगोलीय घटना भारत में दिखाई नहीं देगी, लेकिन शास्त्रों के अनुसार इसका प्रभाव धार्मिक अनुष्ठानों और मानव जीवन पर पड़ सकता है। हिंदू धर्म में ग्रहण को सामान्यतः अशुभ माना जाता ह और नवरात्रि जैसे पवित्र पर्व से पहले इसका होना कई लोगों के लिए चिंता का कारण है।
इसे भी पढ़ें- Lunar Eclipse 2025: 7 सितंबर को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण, सभी राशियों पर पड़ेगा प्रभाव
ज्योतिषाचार्यों और शास्त्रों ने इस ग्रहण के पीछे छिपे रहस्यों को समझाने की कोशिश की है। यह सूर्य ग्रहण 21 सितंबर की रात 10:59 बजे ग्रहण शुरू होगा और 22 सितंबर की रात 1:11 बजे इसका मध्य रहेगा। यह वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, जो दक्षिण अमेरिका, अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा। भारत में यह दिखाई नहीं देगा, इसलिए सूतक काल लागू नहीं होगा। फिर भी, शास्त्रों के अनुसार, ग्रहण का प्रभाव राशियों और कर्मकांडों पर पड़ता है।
ज्योतिषी के अनुसार, यह ग्रहण कन्या राशि में होगा, जिससे मेष, कर्क, तुला और मकर राशि वालों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। हिंदू शास्त्रों में सूर्य ग्रहण को राहु-केतु के प्रभाव से जोड़ा जाता है। स्कंद पुराण और मत्स्य पुराण के अनुसार, ग्रहण के दौरान सूर्य को राहु ग्रस लेता है, जो नकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है। इस समय मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं और पूजा-पाठ जैसे कार्य वर्जित माने जाते हैं। नवरात्रि से पहले यह ग्रहण इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मां दुर्गा की आराधना के पर्व को प्रभावित कर सकता है।
शास्त्रों में सलाह दी गई है कि ग्रहण के समय दान, जप और ध्यान करना चाहिए। हालांकि भारत में ग्रहण दृश्य नहीं होगा, फिर भी कई लोग इसे अशुभ मानकर नवरात्रि की तैयारियों में सावधानी बरत रहे हैं। ज्योतिषियों ने सुझाव दिया है कि इस दौरान हनुमान चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करना लाभकारी होगा। कुछ समुदायों में गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के प्रभाव से बचने के लिए विशेष सावधानियां बरतने की सलाह दी गई है। सामाजिक दृष्टि से, यह ग्रहण वैज्ञानिक और धार्मिक विश्वासों के बीच बहस को भी जन्म दे रहा है।
सावधानियां और उपायज्योतिषियों का कहना है कि ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए सूर्य मंत्र का जप, दान और गंगा स्नान करना चाहिए। ग्रहण के बाद घर में गंगाजल छिड़कने और शुद्धिकरण की सलाह दी गई है। नवरात्रि की शुरुआत 3 अक्टूबर से होगी, इसलिए भक्तों को उत्साह के साथ तैयारियां करनी चाहिए, लेकिन शास्त्रीय नियमों का पालन करना जरूरी है। यह ग्रहण एक बार फिर विज्ञान और धर्म के बीच संतुलन की बात को सामने लाता है।
इसे भी पढ़ें- Chhath Puja 2025: नहाय खाय की तारीख, विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व








