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Sharad Purnima 2025: इस डेट को है शरद पूर्णिमा, मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए करें ये काम, जानें पूजा विधि और महत्व

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Sharad Purnima 2025

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Sharad Purnima 2025: सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा को अत्यंत पवित्र और धन-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाने वाला यह त्योहार देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष पूजा से जुड़ा है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार, वर्ष 2025 में शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन चंद्रमा शाम 7:26 बजे उदय होगा, जो व्रत रखने वालों के लिए विशेष अवसर प्रदान करेगा।

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धार्मिक मान्यता है कि इस रात्रि आकाश से अमृत की बूंदें बरसती हैं, जो जीवन को अमरता और समृद्धि प्रदान करती हैं। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि पूर्णिमा तिथि 6 अक्टूबर दोपहर 12:23 बजे प्रारंभ होकर 7 अक्टूबर सुबह 9:06 बजे समाप्त होगी। पंचांग गणना के आधार पर व्रत और पूजा 6 अक्टूबर को ही संपन्न की जाएगी, क्योंकि यह निशीथ एवं प्रदोष व्यापिनी है। इस वर्ष एक दुर्लभ संयोग बन रहा है उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग का योग, जो पूजा को फलदायी बनाएगा।

पौराणिक कथाओं में शरद पूर्णिमा को भगवान कृष्ण की महारास लीला का दिन माना जाता है। साथ ही, समुद्र मंथन से मां लक्ष्मी की उत्पत्ति इसी तिथि को हुई, इसलिए रात्रि जागरण से उनकी कृपा प्राप्त होती है। देश के पूर्वी भागों में इसे कोजागरी पूर्णिमा कहा जाता है, जो पश्चिम बंगाल, ओडिशा और असम में उत्साह से मनाया जाता है। यहां विधिपूर्वक लक्ष्मी-विष्णु पूजा से आर्थिक कष्ट दूर होते हैं और सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है।

वैज्ञानिक दृष्टि से, चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होने से उसकी किरणें सकारात्मक ऊर्जा बिखेरती हैं। चांदनी रात्रि में खीर रखने की परंपरा इसी से जुड़ी है चंद्र किरणें खीर को औषधीय गुण प्रदान कर अमृत तुल्य बना देती हैं, जिसका सेवन स्वास्थ्यवर्धक होता है।  ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदी स्नान करें या घर पर गंगाजल मिले जल से स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर गंगाजल छिड़कें। मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर लाल चुनरी ओढ़ाएं।

लाल फूल, इत्र, धूप-दीप, नैवेद्य और सुपारी से पूजन करें। लक्ष्मी चालीसा पाठ के बाद आरती उतारें। शाम को विष्णु पूजन और चंद्र अर्घ्य दें। चावल-गाय दूध की खीर बनाकर चंद्रमा के नीचे रखें। मध्यरात्रि में लक्ष्मी भोग लगाकर प्रसाद वितरित करें।यह त्योहार न केवल आध्यात्मिक उन्नति का माध्यम है, बल्कि जीवन में धन, स्वास्थ्य और शांति का संदेश देता है। शरद पूर्णिमा की चांदनी में जागरण से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होगी, जो वर्ष भर समृद्धि सुनिश्चित करेगी।

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