Home » धर्म » Shani Ki Sade Sati: ज्योतिष का काला साया या कर्मों का आईना? क्यों डर जाते हैं लोग इसके नाम से

Shani Ki Sade Sati: ज्योतिष का काला साया या कर्मों का आईना? क्यों डर जाते हैं लोग इसके नाम से

Share :

Shani Ki Sade Sati

Share :

Shani Ki Sade Sati: ज्योतिष शास्त्र में शनि की साढ़ेसाती का नाम सुनते ही लोगों के चेहरे पर भय का बादल छा जाता है। यह 7.5 वर्षों की वह दशा है, जो शनि ग्रह के चंद्र राशि से 12वें, प्रथम और द्वितीय भाव में गोचर के दौरान आती है। शनि, जो न्याय का प्रतीक माने जाते हैं, इस दौरान व्यक्ति के कर्मों का सख्ती से लेखा-जोखा लेते हैं। लेकिन क्या यह हमेशा विनाशकारी होती है? या यह आत्म-मूल्यांकन का अवसर? आइए, समझते हैं इस रहस्यमयी दशा को, जो लाखों लोगों की जिंदगी को प्रभावित करती है।

इसे भी पढ़ें- Saturn transit 2025: 3 अक्टूबर को स्थान परिवर्तन करेंगे शनिदेव, जानें- भारत और विश्व पर क्या होगा असर

साढ़ेसाती की शुरुआत तब होती है जब शनि चंद्र राशि से एक राशि पहले (12वें भाव) प्रवेश करता है। यह पहला चरण (लगभग 2.5 वर्ष) आर्थिक हानि, स्वास्थ्य समस्याओं और मानसिक तनाव लाता है। दूसरा चरण, जब शनि जन्म राशि पर होता है, सबसे कठिन माना जाता है, रिश्तों में दरार, नौकरी में अस्थिरता और अप्रत्याशित दुर्घटनाएं आम हैं। तीसरा चरण (द्वितीय भाव) में चुनौतियां कम होती हैं, लेकिन फिर भी सतर्कता जरूरी। कुल मिलाकर, यह 2.5 वर्ष x 3 = 7.5 वर्ष की यात्रा शनि की धीमी गति (एक राशि में 2.5 वर्ष) के कारण होती है।

ज्योतिषियों के अनुसार, यह दशा हर 30 वर्षों में आती है, यानी जीवन में दो-तीन बार। लोगों में इसकी भयावहता का कारण पुरानी मान्यताएं और लोककथाएं हैं। शनि को ‘क्रूर’ ग्रह कहा जाता है, जो बुरे कर्मों का दंड देते हैं। बचपन से सुनाई जाने वाली कहानियां—जैसे शनि की दृष्टि से बर्बादी—डर को बढ़ाती हैं। समाज में ‘शनि आ गया’ कहकर किसी की विपत्ति को जोड़ दिया जाता है। वास्तव में, यदि कुंडली में शनि मजबूत है या व्यक्ति सदाचारी, तो साढ़ेसाती फलदायी साबित होती है। कई सफल लोग, जैसे अमिताभ बच्चन, ने इसे पार कर नई ऊंचाइयां छुईं।

ज्योतिषी कहते हैं, यह डर भ्रम है, शनि कर्मफल दाता हैं, न कि शत्रु। बुरे प्रभाव तब आते हैं जब व्यक्ति लापरवाह या अन्यायी होता है। डरने की बजाय, साढ़ेसाती को अवसर मानें। उपाय सरल हैं, शनिवार को कौवों को भोजन कराएं, तिल-तेल दान करें, ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ मंत्र जपें। हनुमान चालीसा पाठ और शनि स्तोत्र से शांति मिलती है। काले घोड़े की नाल या नाव की कील घर में लगाएं। सबसे बड़ा उपाय सत्कर्म, गरीबों की मदद, ईमानदारी। ज्योतिषी सलाह लें, लेकिन भाग्य पर न छोड़ें। साढ़ेसाती जीवन का परीक्षण है, जो मजबूत बनाती है। डरें नहीं, तैयार रहें यह शनि का आशीर्वाद भी हो सकता है!

इसे भी पढ़ें- Mercury Transit 2025: 24 अक्टूबर को वृश्चिक में प्रवेश, वृषभ राशि वालों के लिए स्वास्थ्य और व्यापार में सतर्क रहें!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement
News Portal Development Services in Uttar Pradesh
Cricket Score
सबसे ज्यादा पड़ गई
Share Market

शहर चुनें

Follow Us