सहारनपुर, 20 अक्टूबर 2025। Shameful Crime: समाज के एक सम्मानित पेशे की बदनामी का एक ऐसा मामला सामने आया है, जो मानवता को शर्मसार कर देता है। पेशे से बीएएमएस डॉक्टर गोपाल ने गरीब परिवार के एक वर्षीय मासूम अनिकेत को फुटपाथ से चुरा लिया और उसे 3.50 लाख रुपये में बेचने का पूरा षड्यंत्र रच डाला। सौभाग्य से पुलिस की तत्परता से बच्चा सकुशल बरामद हो गया, जबकि गिरोह के छह सदस्यों को जेल की हवा खिलाई गई।
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यह घटना न केवल बच्चा तस्करी के काले कारोबार को उजागर करती है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही पर भी सवाल खड़े करती है। 14 अक्टूबर की काली रात थी। सहारनपुर के सदर बाजार थाना क्षेत्र में कोर्ट रोड पुल के नीचे खलासी लाइन के निवासी कृष और उनका परिवार फुटपाथ पर सो रहा था। गरीबी की मार झेलते इस मजदूर परिवार के लिए यह रात आखिरी नहीं, बल्कि सबसे डरावनी साबित हुई। रात के करीब दो बजे अंधेरे का फायदा उठाते हुए किसी ने उनके लाड़ले बेटे अनिकेत को चुपचाप उठा लिया। सुबह जब परिवार की आंखें खुलीं, तो बच्चे का पता न था। घोर चिंता में डूबे पिता कृष ने तुरंत सदर बाजार थाने में तहरीर दर्ज कराई।
बच्चे के गायब होने की खबर फैलते ही इलाके में सनसनी मच गई। एसएसपी आशीष तिवारी ने व्यक्तिगत रूप से इस मामले को संभाला। सदर बाजार पुलिस के साथ सर्विलांस टीम को लगा दिया गया। मोबाइल लोकेशन ट्रैकिंग, सीसीटीवी फुटेज की छानबीन और मुखबिरों की मदद से सुराग जुटाए गए। कई दिनों की अथक मेहनत रंग लाई। रविवार को खुफिया जानकारी मिली कि खलासी लाइन के पास पुराने रेलवे क्वार्टर में संदिग्ध लोग छिपे हैं। पुलिस टीम ने छापा मारा और वहां से मासूम अनिकेत को जिंदा बरामद कर लिया। बच्चा भूखा-प्यासा था, लेकिन सुरक्षित।
मौके से गिरफ्तार हुए ये आरोपी
डॉक्टर गोपाल (निवासी जगहैता गुर्जर), उसका बेटा अंकुश, सलमान (निवासी मानकमऊ), और तीन महिलाएं—प्रीति (मातागढ़), दीपा (भूलनी), तथा नैना (झबरेड़ा, हरिद्वार)। पुलिस ने उनके पास से दो मोबाइल फोन और 1560 रुपये नकद भी जब्त किए। पूछताछ में सनसनीखेज खुलासा हुआ। एसएसपी के मुताबिक, इस संगठित गिरोह का मास्टरमाइंड डॉक्टर गोपाल ही था। पहले भी संदिग्ध गतिविधियों में फंसा यह ‘डॉक्टर’ पैसों के लालच में सलमान और एक नाबालिग के साथ मिलकर योजना बना रहा था।
घटना की रात गोपाल खुद बाइक पर कोर्ट रोड पुल पहुंचा। सलमान और नाबालिग की मदद से उसने सोते परिवार के बीच से अनिकेत को उठाया और फरार हो गया। बच्चे को अलग-अलग ठिकानों पर छिपाया गया, ताकि तलाशी में न पकड़ा जाए।और तो और, पूछताछ से पता चला कि गिरोह उत्तराखंड के झबरेड़ा की एक महिला को 3.50 लाख में बच्चा बेचने वाला था। सौदे की मध्यस्थता नैना कर रही थी, जो खरीदने वाली महिला की बहन है।
नैना ही डिलीवरी की फर्जी व्यवस्था संभाल रही थी और सभी को जोड़ रही थी। गोपाल ने बाकी सदस्यों को कमीशन का लालच देकर जोड़ा था। आरोपी ने कबूल किया कि आर्थिक तंगी ने उसे इस पाप का रास्ता दिखाया। पुलिस ने सभी छह आरोपियों को अदालत में पेश कर जेल भेज दिया। मासूम अनिकेत को उसके परिजनों के हवाले कर दिया गया। परिवार ने पुलिस का आभार माना, लेकिन कृष का कहना है, “हमारी गरीबी ने हमें लूटा, लेकिन पुलिस ने बचा लिया।”
एसएसपी तिवारी ने चेतावनी दी कि यह मानव तस्करी का बड़ा नेटवर्क हो सकता है। गहन जांच चल रही है—क्या गिरोह ने पहले भी ऐसी वारदातें कीं? पुलिस अब अन्य जिलों में भी निगाहें तरेर रही है। यह मामला समाज को झकझोरता है: क्या हमारी व्यवस्था गरीबों की रक्षा कर पा रही है? बच्चा चोरी के इस काले साये को मिटाने के लिए सख्त कानून और जागरूकता जरूरी है।
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