नई दिल्ली, 12 अगस्त 2025। Delhi-NCR: दिल्ली-एनसीआर में पुराने वाहनों के मालिकों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार, 12 अगस्त 2025 को एक बड़ा राहत भरा फैसला सुनाया। कोर्ट ने आदेश दिया कि 10 साल से पुराने डीजल वाहनों और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों के मालिकों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। यह अंतरिम आदेश दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें 2018 के उस आदेश की समीक्षा की मांग की गई थी, जिसने पुराने वाहनों पर प्रतिबंध लगाया था।
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मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, जस्टिस के. विनोद चंद्रन और एन.वी. अंजारिया की पीठ ने मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद तय करते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने कहा, “10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों के आधार पर मालिकों के खिलाफ कोई जबरदस्ती कार्रवाई न हो।” यह फैसला 2015 में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के उस आदेश के बाद आया, जिसने दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए पुराने वाहनों पर रोक लगाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में बरकरार रखा था।
दिल्ली सरकार ने तर्क दिया कि उम्र के आधार पर वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध अवैज्ञानिक है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कुछ वाहन कम उपयोग के कारण अच्छी स्थिति में होते हैं, जैसे कि घर से कार्यालय तक सीमित दूरी के लिए इस्तेमाल होने वाले वाहन, जो साल में केवल 2000 किमी चलते हैं। इसके विपरीत, टैक्सी जैसे वाहन दो साल में ही लाखों किमी चल जाते हैं, फिर भी उन्हें उम्र सीमा तक चलाने की अनुमति है। सरकार ने यह भी तर्क दिया कि भारत स्टेज VI (BS-VI) उत्सर्जन मानकों और बेहतर प्रदूषण नियंत्रण तकनीकों के बाद उम्र-आधारित प्रतिबंध की आवश्यकता नहीं रह गई है।
दिल्ली सरकार ने मांग की है कि केंद्र और CAQM उम्र के बजाय वाहनों के वास्तविक उत्सर्जन, माइलेज और फिटनेस टेस्ट के आधार पर नीति बनाएं। इस फैसले से मध्यम और निम्न-आय वर्ग के लोगों को राहत मिली है, जो पुराने वाहनों पर निर्भर हैं। अगली सुनवाई में कोर्ट इस नीति की वैज्ञानिकता और व्यवहारिकता पर विचार करेगा।