महाराष्ट्र, 21 अगस्त 2025। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने 20 अगस्त 2025 को केंद्र सरकार द्वारा पेश तीन नए विधेयकों को लेकर सनसनीखेज बयान दिया। इन विधेयकों में संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025, केंद्र शासित प्रदेश (संशोधन) विधेयक, 2025, और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 शामिल हैं।
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राउत ने दावा किया कि इन विधेयकों से सबसे ज्यादा डर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “मोदी-शाह ने संसद में सीएम और मंत्रियों को गिरफ्तार कर हटाने का बिल पेश किया। खबर है कि नायडू और नीतीश सबसे ज्यादा डरे हुए हैं। केंद्र सरकार को डर है कि वे समर्थन वापस ले सकते हैं।”
राउत ने इन विधेयकों को विपक्षी दलों की सरकारों को “आतंकित” करने का हथियार बताया और इसे तानाशाही का प्रतीक करार दिया। उनके मुताबिक, विधेयक का मकसद गैर-भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को दबाव में लाना है, ताकि वे BJP में शामिल हो जाएं या उनकी सरकारें अस्थिर हो जाएं। विधेयक में प्रावधान है कि अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या कोई मंत्री गंभीर आपराधिक मामले में गिरफ्तार होता है और 30 दिनों के भीतर इस्तीफा नहीं देता, तो उसका पद स्वतः समाप्त हो जाएगा। यह बिल संयुक्त संसदीय समिति (JPC) को भेजा गया है, जो अगले संसद सत्र में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।
राउत ने उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर भी NDA की रणनीति पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि NDA को अपने बहुमत पर भरोसा नहीं है, इसलिए वह विपक्षी सांसदों से समर्थन मांग रहा है। NDA ने महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है, जिनका मुकाबला इंडिया गठबंधन के बी. सुदर्शन रेड्डी से है। राउत ने राधाकृष्णन के कार्यकाल पर निशाना साधते हुए कहा कि झारखंड के राज्यपाल रहते हुए उन्होंने प्रवर्तन निदेशालय (ED) को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया, जिससे संवैधानिक मर्यादा का उल्लंघन हुआ।
इस बयान ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। नीतीश कुमार की जनता दल-यूनाइटेड (JDU) और चंद्रबाबू नायडू की तेलुगु देशम पार्टी (TDP) NDA के प्रमुख सहयोगी हैं। लोकसभा में BJP के पास 240 सीटें हैं, जो बहुमत (272) से कम हैं, और JDU (12 सीटें) व TDP (16 सीटें) का समर्थन सरकार की स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है। राउत ने पहले भी नीतीश और नायडू को “असंतुष्ट आत्माएं” कहकर तंज कसा था, जब मंत्रिमंडल में विभागों के बंटवारे पर असंतोष की खबरें आई थीं।
विपक्षी दलों ने इन विधेयकों को लोकतंत्र के लिए खतरा बताया। AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह विधेयक शक्तियों के पृथक्करण का उल्लंघन करता है और गैर-निर्वाचित अधिकारियों को असीमित शक्ति देता है। राउत ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और शिवसेना मंत्रियों पर भी कटाक्ष किया, कहा कि अगर यह कानून लागू हुआ, तो उन्हें “हर दिन जेल जाना पड़ेगा।”
यह विवाद ऐसे समय में उभरा है, जब विपक्ष मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं को लेकर भी केंद्र पर हमलावर है। राउत के बयानों ने NDA के भीतर संभावित तनाव को उजागर किया है, और अब सभी की नजरें JPC की रिपोर्ट और उपराष्ट्रपति चुनाव के परिणामों पर टिकी हैं।
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