नागपुर, 29 अगस्त 2025। RSS: काशी-मथुरा आंदोलन से RSS का किनारा, स्वयंसेवकों को भागवत की छूटराष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने 28 अगस्त 2025 को दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यानमाला के अंतिम दिन काशी और मथुरा मंदिर आंदोलनों पर स्पष्ट रुख अपनाया।
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उन्होंने कहा कि RSS राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल था, लेकिन अब काशी और मथुरा जैसे आंदोलनों में संगठन की ओर से कोई हिस्सा नहीं लिया जाएगा। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि RSS स्वयंसेवक व्यक्तिगत रूप से इन आंदोलनों में भाग लेने के लिए स्वतंत्र हैं। भागवत ने कहा, “राम मंदिर ही एकमात्र आंदोलन था जिसे संघ ने पूर्ण समर्थन दिया। काशी और मथुरा के लिए हिंदू समाज अपनी मांग रखेगा, लेकिन संघ इसमें शामिल नहीं होगा।”
भागवत ने हिंदू समाज के लिए काशी, मथुरा और अयोध्या के महत्व को स्वीकार करते हुए कहा कि ये तीन स्थान हिंदुओं के लिए आस्था के प्रतीक हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि यदि मुस्लिम समुदाय मथुरा की शाही ईदगाह और वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद को हिंदुओं को सौंप दे, तो यह भाईचारे की दिशा में बड़ा कदम होगा। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ तीन मंदिरों का मामला है। अगर मैं कह सकता हूं कि हर मस्जिद में शिवलिंग नहीं ढूंढना चाहिए, तो दूसरी तरफ से भी यह कहा जा सकता है कि तीन मंदिर दे दो, यह भाईचारे के लिए बड़ा कदम होगा।”
भागवत ने जोर देकर कहा कि हिंदू-मुस्लिम अविश्वास को दूर करना जरूरी है, और इसके लिए ऐतिहासिक भय और गलतफहमियों को संवाद से हल करना होगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि RSS और BJP के बीच कोई मतभेद नहीं है, और संघ केवल वैचारिक सुझाव देता है, न कि सरकार को निर्देश। इस बयान ने काशी और मथुरा को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई और सामाजिक बहस को नया आयाम दिया है। भागवत ने कहा कि भारत को विश्वगुरु बनने के लिए समावेशी और सामंजस्यपूर्ण समाज की जरूरत है।
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