जुलाई 2025 की शुरुआत में अगर किसी ने सोना या चांदी में निवेश किया है, तो अब वह खुशी से फूले नहीं समा रहा होगा। पिछले 10 दिनों में इन दोनों कीमती धातुओं ने बाजार में जबरदस्त प्रदर्शन किया है और निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) के आंकड़ों के अनुसार, 30 जून को 10 ग्राम सोने की कीमत ₹96,075 थी, जो 11 जुलाई तक बढ़कर ₹97,818 हो गई। यानी करीब 1.81% की बढ़त। लेकिन असली चमक चांदी ने दिखाई, जिसकी कीमत ₹1,06,292 प्रति किलोग्राम से बढ़कर ₹1,13,001 तक पहुंच गई — यानी सिर्फ 10 दिनों में 6.31% की बढ़ोत्तरी। यह तेजी सिर्फ संख्याओं में नहीं, बल्कि निवेशकों के चेहरे पर आई मुस्कान में भी साफ दिख रही है।
इस कीमतों में उछाल के पीछे कई वजहें हैं, जो घरेलू और वैश्विक दोनों स्तरों से जुड़ी हैं। सबसे बड़ा कारण है दुनिया भर में फैली आर्थिक अनिश्चितता। अमेरिका और यूरोप जैसे विकसित देशों में महंगाई दर को लेकर चिंता बनी हुई है, और केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में बदलाव की ओर इशारा कर चुके हैं। ऐसे माहौल में निवेशक ऐसे विकल्प की ओर भागते हैं जो उन्हें सुरक्षित रिटर्न दे सके — और ऐसे में सोना-चांदी सबसे भरोसेमंद साबित होते हैं। इसके साथ ही भारत में भी स्थिति निवेश के लिए अनुकूल बन गई है। त्योहारी सीजन पास है, जिससे ज्वैलरी और सिक्कों की मांग तेज हुई है, जिसने सोने की कीमत को सहारा दिया है।
चांदी की मांग में भी इज़ाफा देखा गया है, खासकर इसके औद्योगिक इस्तेमाल के चलते। सोलर पैनल, इलेक्ट्रॉनिक्स और मेडिकल उपकरणों जैसे सेक्टर्स में चांदी का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। यही कारण है कि चांदी की कीमतों में अचानक उछाल देखने को मिला। वहीं दूसरी ओर शेयर बाजार की गिरावट ने भी सोने-चांदी के बाजार को और मजबूत किया है। जब निवेशक इक्विटी मार्केट से असंतुष्ट होते हैं, तो वे आमतौर पर सुरक्षित निवेश की ओर रुख करते हैं — और यही कारण है कि सोना-चांदी फिर से सुर्खियों में हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इन धातुओं का दबदबा बढ़ा है। सोने की कीमतें वैश्विक बाजार में 2,400 डॉलर प्रति औंस के करीब पहुंच गई हैं, जो अब तक का एक रिकॉर्ड है। अमेरिकी डॉलर में कमजोरी, वैश्विक भू-राजनीतिक तनाव और आर्थिक मंदी की आशंका ने सोने और चांदी को ‘सेफ हेवन’ बना दिया है, जहां निवेशकों को सुरक्षा और मुनाफा दोनों नजर आ रहे हैं। विशेषज्ञों की मानें तो यह तेजी अभी थमने वाली नहीं है। वे मानते हैं कि जब तक वैश्विक माहौल में स्थिरता नहीं आती, तब तक सोने और चांदी की चमक बरकरार रहेगी। लोग अपने निवेश को सुरक्षित रखने के लिए इन्हीं विकल्पों को प्राथमिकता देंगे।
निवेशकों के लिए यह वक्त सतर्क लेकिन संभावनाओं से भरा है। अगर आप दीर्घकालिक सोच रखते हैं और जोखिम कम चाहते हैं, तो सोना और चांदी में निवेश एक समझदारी भरा कदम हो सकता है। लेकिन किसी भी निर्णय से पहले विशेषज्ञों की सलाह जरूर लें, क्योंकि बाजार की चाल जितनी तेज़ है, उतनी ही अनिश्चित भी।