दिल्ली CM के बंगले का नवीकरण रद्द, VIP संस्कृति पर उठे सवालनई दिल्ली, 10 जुलाई 2025: दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के सरकारी आवास के लिए प्रस्तावित 60 लाख रुपये की नवीकरण योजना को दिल्ली सरकार ने ‘प्रशासनिक कारणों’ का हवाला देते हुए रद्द कर दिया है। यह निर्णय तब आया जब विपक्षी दलों, खासकर आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस ने इस योजना को ‘VIP संस्कृति’ का प्रतीक बताकर तीखी आलोचना की। इस खबर ने एक बार फिर दिल्ली में सरकारी खर्च और नेताओं की जीवनशैली पर बहस छेड़ दी है।
पृष्ठभूमि
शीशमहल से रंग महल तकरेखा गुप्ता, जो फरवरी 2025 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के बाद पहली बार विधायक बनकर मुख्यमंत्री बनीं, को लोक निर्माण विभाग (PWD) ने जून में राज निवास मार्ग पर दो बंगले आवंटित किए थे—एक उनके आवास के लिए और दूसरा कैंप कार्यालय के लिए। गुप्ता ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के 6, फ्लैगस्टाफ रोड स्थित बंगले, जिसे भाजपा ने ‘शीशमहल’ करार दिया था, में रहने से इनकार कर दिया। भाजपा ने चुनाव प्रचार के दौरान केजरीवाल पर इस बंगले के नवीकरण पर 33.86 करोड़ रुपये से अधिक खर्च करने का आरोप लगाया था, जिसे उन्होंने भ्रष्टाचार का प्रतीक बताया।गुप्ता ने वादा किया था कि वह ‘शीशमहल’ को संग्रहालय में बदल देंगी और स्वयं सादगीपूर्ण जीवनशैली अपनाएंगी। हालांकि, उनके नए आवास के लिए 28 जून को जारी 60 लाख रुपये के टेंडर ने उनके इस दावे पर सवाल खड़े कर दिए। टेंडर में 14 एयर कंडीशनर (7.7 लाख रुपये), पांच 4K स्मार्ट टीवी (9.3 लाख रुपये), तीन झूमर, 10 फ्लड लाइट्स, छह गीजर (91,000 रुपये), एक ऑटोमैटिक वॉशिंग मशीन (77,000 रुपये), डिशवॉशर (60,000 रुपये), गैस स्टोव (63,000 रुपये), माइक्रोवेव ओवन (32,000 रुपये), और 14 CCTV कैमरे (5.74 लाख रुपये) जैसी सुविधाओं का उल्लेख था।विपक्ष की आलोचना और जनता का गुस्साटेंडर के सार्वजनिक होने के बाद AAP और कांग्रेस ने इसे ‘माया महल’ और ‘रंग महल’ करार देते हुए भाजपा पर दोहरे मापदंड का आरोप लगाया। AAP के दिल्ली अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने सवाल उठाया, “अगर ये विलासिता जरूरी थी, तो टेंडर क्यों रद्द किया? और अगर नहीं थी, तो इसे जारी क्यों किया गया?” उन्होंने इसे जनता के दबाव और सोशल मीडिया पर आलोचना का नतीजा बताया। कांग्रेस की सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, “जब दिल्ली के लोग अपने घरों को बुलडोजर से बचाने के लिए सड़कों पर हैं, तब मुख्यमंत्री दो बंगलों को मिलाकर विलासिता में डूबना चाहती हैं।”सोशल मीडिया पर भी #RangMahal और #VIPCulture जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे। कई यूजर्स ने लिखा कि भाजपा ने केजरीवाल के ‘शीशमहल’ की आलोचना तो की, लेकिन अब खुद उसी राह पर चल रही है। एक यूजर ने लिखा, “शीशमहल को भूल जाओ, अब रंग महल का दौर है।”
टेंडर रद्द
प्रशासनिक कारण या जन दबाव?PWD ने 7 जुलाई को टेंडर रद्द करने की अधिसूचना जारी की, जो 4 जुलाई को खुलने वाला था। विभाग ने इसे ‘प्रशासनिक कारणों’ से जोड़ा, लेकिन कोई स्पष्ट विवरण नहीं दिया। सूत्रों का कहना है कि विपक्ष की आलोचना और मीडिया में खबरों के बाद सरकार बैकफुट पर आ गई। कुछ का मानना है कि यह केवल एक अस्थायी कदम हो सकता है, और सरकार बाद में छोटे टेंडरों के जरिए ये सुविधाएं स्थापित कर सकती है।दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने बचाव में कहा कि 50 लाख रुपये का खर्च ‘विलासिता’ नहीं, बल्कि ‘बुनियादी नवीकरण’ था। उन्होंने दावा किया कि यह बंगला पहले उपराज्यपाल के स्टाफ द्वारा इस्तेमाल होता था और इसे मुख्यमंत्री के लिए उपयुक्त बनाने की जरूरत थी। हालांकि, विपक्ष ने इसे ‘सफाई’ करार दिया।
पड़ताल
क्या है असल मसला?यह विवाद केवल एक बंगले के नवीकरण तक सीमित नहीं है। यह दिल्ली की राजनीति में नैतिकता, पारदर्शिता और जनता के पैसे के उपयोग का सवाल उठाता है। भाजपा ने ‘शीशमहल’ को चुनावी मुद्दा बनाकर AAP को सत्ता से बेदखल किया, लेकिन अब खुद उसी तरह के आरोपों का सामना कर रही है। सवाल यह है कि क्या 60 लाख रुपये का खर्च वाकई जरूरी था? और अगर नहीं, तो टेंडर क्यों जारी हुआ? क्या यह केवल एक प्रशासनिक चूक थी, या जानबूझकर विलासिता की योजना बनाई गई थी?दूसरी ओर, यह भी सच है कि सरकारी बंगलों का नवीकरण कोई नई बात नहीं है। लेकिन जब दिल्ली में पानी, बिजली और बुनियादी ढांचे की समस्याएं बरकरार हैं, तब इस तरह के खर्च पर सवाल उठना स्वाभाविक है। गुप्ता ने हाल ही में अपने कैंप कार्यालय में ‘जनसुनवाई’ शुरू की है, जिसमें उन्होंने जनता की समस्याओं को सुनने का वादा किया। लेकिन इस विवाद ने उनकी ‘सादगी’ की छवि को धक्का पहुंचाया है।
आगे क्या
रेखा गुप्ता ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। वह जल्द ही राज निवास मार्ग के बंगले में शिफ्ट होने वाली हैं, संभवतः नवरात्रि के दौरान। यह देखना बाकी है कि क्या सरकार भविष्य में इस नवीकरण को किसी और रूप में आगे बढ़ाएगी। फिलहाल, यह मामला दिल्ली की सियासत में एक गर्म मुद्दा बना हुआ है, जो सरकार की विश्वसनीयता और विपक्ष की रणनीति को प्रभावित कर सकता है।