नई दिल्ली, 4 अक्टूबर 2025। Reliance Jio IPO: मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने अपनी प्रमुख टेलीकॉम यूनिट रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड के आईपीओ को लेकर तेजी दिखानी शुरू कर दी है। ब्लूमबर्ग की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने बैंकों के साथ अनौपचारिक चर्चाओं की शुरुआत कर दी है, जो भारत के इतिहास का सबसे बड़ा आईपीओ साबित हो सकता है।
सूत्रों का कहना है कि अक्टूबर के अंत तक औपचारिक प्रक्रिया चालू हो सकती है, जबकि नवंबर तक इंवेस्टमेंट बैंकरों की नियुक्ति हो जाएगी। हालांकि, आईपीओ का साइज और लॉन्च डेट में बदलाव संभव है।रिपोर्ट में उल्लेख है कि जियो का आईपीओ 2026 की पहली छमाही में लॉन्च होने की संभावना है।
जियो की हालिया एनुअल जनरल मीटिंग (AGM) में चेयरमैन मुकेश अंबानी ने इसकी घोषणा की थी, जिसमें कंपनी ने लगभग 52,200 करोड़ रुपये (करीब 6 अरब डॉलर) जुटाने का लक्ष्य रखा था। यह राशि भारत के मौजूदा सबसे बड़े आईपीओ, हुंडई मोटर इंडिया के 28,000 करोड़ रुपये के ऑफर को पीछे छोड़ देगी। लेकिन अब सेबी (सेबी) के नए नियमों के चलते यह साइज आधा रह सकता है।कंपनी ने सेबी से केवल 5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की मंजूरी मांगी है, ताकि बाजार में पर्याप्त लिक्विडिटी बनी रहे।
मौजूदा नियमों के तहत लिस्टिंग के तीन साल के अंदर कंपनियों को कम से कम 25 प्रतिशत पब्लिक शेयरहोल्डिंग सुनिश्चित करनी होती है। हालांकि, रिलायंस का तर्क है कि इतने बड़े आईपीओ के लिए बाजार में लिक्विडिटी की कमी हो सकती है, जिससे लिस्टिंग प्रक्रिया जटिल हो जाए। सेबी ने हाल ही में संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिसमें बड़ी कंपनियों को न्यूनतम 2.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की छूट दी गई है। इस बदलाव से जियो आईपीओ का मूल्यांकन 52,200 करोड़ से घटकर करीब 30,000 करोड़ रुपये तक सीमित हो सकता है।यह कदम जियो की मजबूत वित्तीय स्थिति को दर्शाता है। कंपनी का वैल्यूएशन 120 अरब डॉलर के आसपास अनुमानित है, और 5G रोलआउट तथा डिजिटल सर्विसेज के विस्तार से इसकी ग्रोथ रेट प्रभावित हो रही है।
रिलायंस ने जियो फाइनेंशियल सर्विसेज के आईपीओ के बाद अब टेलीकॉम सेगमेंट पर फोकस किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह आईपीओ निवेशकों के लिए आकर्षक होगा, खासकर जब भारत का टेलीकॉम मार्केट 5G और ब्रॉडबैंड डिमांड से तेजी से बढ़ रहा है। विपक्षी दलों और एनालिस्ट्स ने इसकी सराहना की है, लेकिन कुछ ने चेतावनी दी है कि बाजार की अस्थिरता आईपीओ को प्रभावित कर सकती है। रिलायंस ने स्पष्ट किया है कि चर्चाएं प्रारंभिक चरण में हैं, और अंतिम निर्णय सेबी की मंजूरी पर निर्भर करेगा। कुल मिलाकर, जियो आईपीओ भारतीय शेयर बाजार को नया रंग देगा, जो निवेशकों की भारी भागीदारी की उम्मीद जगाता है। यह न केवल रिलायंस के पोर्टफोलियो को मजबूत करेगा, बल्कि टेलीकॉम सेक्टर में वैश्विक निवेश को भी आकर्षित करेगा।
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