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Rekha Gupta: दिल्ली में बीजेपी सरकार पर विवाद, रेखा गुप्ता के बंगले और ईंधन प्रतिबंध पर उलटफेर

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Rekha Gupta

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  • रेखा गुप्ता की सरकार को झटका, जनता के विरोध के बाद नीतियों में बदलाव
  • दिल्ली में बीजेपी की मुश्किलें, बंगला विवाद और ईंधन नीति पर विपक्ष का हमला

नई दिल्ली, 2 अगस्त 2025। Rekha Gupta:  दिल्ली में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को अपनी सरकार के 100 दिन पूरे होने के जश्न के बीच तीखी आलोचना और जनता के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नेतृत्व वाली सरकार को दो बड़े विवादों मुख्यमंत्री के आधिकारिक बंगले के नवीकरण और पुराने वाहनों पर ईंधन प्रतिबंध के कारण नीतियों में बदलाव करना पड़ा है। इन फैसलों ने न केवल जनता का गुस्सा भड़काया, बल्कि विपक्षी दलों, खासकर आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस को बीजेपी पर हमला करने का मौका दिया है।

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दिल्ली में बीजेपी को 2025 के विधानसभा चुनाव में जनता ने कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ वोट देकर सत्ता सौंपी थी। पार्टी ने अरविंद केजरीवाल की पूर्ववर्ती आप सरकार पर भ्रष्टाचार और शीशमहल जैसे मुद्दों को लेकर निशाना साधा था। हालांकि, अब बीजेपी स्वयं विवादों के घेरे में है। पहला विवाद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के नए आधिकारिक बंगले के लिए 60 लाख रुपये के नवीकरण कार्य से जुड़ा है। विपक्ष ने इसे ‘माया महल’ करार देते हुए आरोप लगाया कि बीजेपी जनता की समस्याओं को नजरअंदाज कर सत्ता के सुख-साधनों में लिप्त है। लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के टेंडर के अनुसार, इस नवीकरण में 24 दो-टन एयर कंडीशनर, 115 लाइटिंग फिक्सचर, और तीन बड़े झाड़-फानूस शामिल हैं।

आप ने इसे जनता के पैसे का दुरुपयोग बताते हुए तीखी आलोचना की, जबकि बीजेपी ने इसे सामान्य विद्युत उन्नयन और आवश्यक सुधार करार दिया। दूसरा विवाद पुराने वाहनों पर ईंधन प्रतिबंध से संबंधित है। दिल्ली सरकार ने 1 जुलाई से 10 साल से पुराने डीजल और 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों को ईंधन देने पर रोक लगाने का फैसला किया था। इस नीति के तहत ट्रांसपोर्ट विभाग और ट्रैफिक पुलिस ने पुराने वाहनों को पेट्रोल पंपों पर ईंधन लेने से रोकना शुरू किया, जिससे जनता में भारी असंतोष फैल गया। आप की नेता और दिल्ली विधानसभा में विपक्ष की नेता अतिशी ने इस फैसले की तुलना वेब सीरीज ‘पंचायत’ के फुलेरा गांव से करते हुए बीजेपी पर तंज कसा।

उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी कार निर्माताओं और डीलरों के साथ मिलकर 62 लाख वाहनों को स्क्रैप करने और नए वाहन खरीदने का दबाव बना रही है। जनता के विरोध और तकनीकी चुनौतियों का हवाला देते हुए सरकार को यह फैसला वापस लेना पड़ा। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि सरकार ने जनता की भावनाओं को समझते हुए यह कदम उठाया और अब राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में एक समान नीति लागू करने की मांग की है। ये दोनों घटनाएं बीजेपी के लिए बड़े झटके के रूप में सामने आई हैं। दिल्ली में सत्ता में आने के बाद बीजेपी ने महिलाओं के लिए 2500 रुपये मासिक सहायता, यमुना नदी की सफाई, और बुनियादी ढांचे के विकास जैसे बड़े वादे किए थे।

हालांकि, इन विवादों ने सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल उठाए हैं। आप और कांग्रेस ने बीजेपी पर जनता के मुद्दों जैसे बिजली कटौती, पानी की कमी, और बढ़ती महंगाई से ध्यान भटकाने का आरोप लगाया है। आप ने विशेष रूप से बंगला नवीकरण को ‘विलासिता का प्रतीक’ बताते हुए कहा कि जब दिल्ली के लोग बुलडोजर के डर में अपने घरों को बचाने के लिए सड़कों पर हैं, तब मुख्यमंत्री दो बंगलों का उपयोग कर रही हैं।राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ये विवाद बीजेपी की छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं, खासकर तब जब पार्टी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस का दावा किया था।

बीजेपी ने इन आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि बंगला नवीकरण केवल आवश्यक सुधारों के लिए है और ईंधन प्रतिबंध को जनता की सुविधा के लिए स्थगित किया गया है। फिर भी, इन फैसलों ने दिल्ली की सियासत में हलचल मचा दी है, और विपक्ष को सरकार पर हमला करने का मौका मिल गया है।निष्कर्षरेखा गुप्ता की सरकार के लिए ये शुरुआती महीने चुनौतीपूर्ण रहे हैं। बंगला नवीकरण और ईंधन प्रतिबंध जैसे फैसलों ने बीजेपी की छवि को नुकसान पहुंचाया है, जिसे पार्टी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के नाम पर सत्ता हासिल की थी। आने वाले दिनों में सरकार को अपनी नीतियों को और पारदर्शी और जन-केंद्रित बनाने की जरूरत होगी, ताकि जनता का भरोसा बरकरार रखा जा सके।

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