लखनऊ, 28 सितंबर 2025। Recruitment Scam: उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग में लैब टेक्निशियन भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। चयन आयोग और विभागीय अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगे हैं कि योग्यता के मानदंडों की अनदेखी कर बिना डिप्लोमा वाले अभ्यर्थियों को चयनित किया गया। खासकर अधिकारियों के रिश्तेदारों को प्राथमिकता देकर नौकरियां बांटी गईं, जिससे सैकड़ों योग्य उम्मीदवारों का भविष्य अधर में लटक गया।
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यह घोटाला न केवल भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है, बल्कि योगी सरकार की ‘शून्य सहनशीलता’ नीति पर भी ठेस पहुंचाता है। घोटाले का खुलासा तब हुआ जब असफल अभ्यर्थियों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की। अदालत के हस्तक्षेप के बाद जांच में सामने आया कि 2023-24 में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत घोषित 2486 लैब टेक्निशियन पदों पर भर्ती में गड़बड़ी बरती गई। पात्रता के लिए न्यूनतम योग्यता मेडिकल लेबोरेटरी टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा या 12वीं साइंस के साथ एमएलटी डिप्लोमा निर्धारित था, लेकिन कई चयनित उम्मीदवारों के पास यह दस्तावेज ही नहीं थे।
विभागीय सूत्रों के अनुसार, चयन आयोग के अधिकारियों ने अपनी कलम का दुरुपयोग कर रिश्तेदारों के फर्जी दस्तावेजों को मंजूरी दी। अनुमान है कि सैकड़ों ऐसी नियुक्तियां हुईं, जिनमें अधिकारियों के भाई-बहन, भतीजे और करीबी रिश्तेदार शामिल हैं। स्वास्थ्य महानिदेशालय ने घोटाले के बाद कड़ा रुख अपनाते हुए सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों (सीएमओ) से तैनात लैब टेक्निशियनों की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
रिपोर्ट में सेवाओं की वैधता, दस्तावेजों का सत्यापन और चयन प्रक्रिया की जांच शामिल है। महानिदेशालय ने स्पष्ट किया कि मिली जानकारी का मिलान केंद्रीय दस्तावेजों से किया जाएगा, और पाए जाने वाली अनियमितताओं पर सख्त कार्रवाई होगी। योग्यता में धांधली के आरोपों पर केंद्र सरकार ने भी हाई लेवल जांच रिपोर्ट तलब की है, जिससे मामला और गंभीर हो गया है। विपक्षी दल, खासकर समाजवादी पार्टी और कांग्रेस, ने इसे ‘रिश्तेदारी भर्ती’ करार देते हुए सरकार को घेरा है। एसपी नेता अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पर तंज कसा, “योगी जी की सरकार में नौकरी योग्यता से नहीं, रिश्तों से मिलती है।”प्रभावित अभ्यर्थी अब सड़कों पर उतर आए हैं।
लखनऊ में प्रदर्शनकारियों ने चयन आयोग कार्यालय का घेराव किया, और पुलिस को भारी लाठीचार्ज करना पड़ा। एक अभ्यर्थी ने बताया, “हमने सालों की मेहनत की, लेकिन बिना डिप्लोमा वाले रिश्तेदारों को नौकरी मिल गई। यह अन्याय है।” विशेषज्ञों का मानना है कि यह घोटाला वायापम जैसे पुराने मामलों की याद दिलाता है, जहां भर्ती प्रक्रिया में सिस्टमेटिक धांधली होती थी। सरकार ने जांच समिति गठित की है, लेकिन अभ्यर्थी न्याय के लिए अदालत पर भरोसा कर रहे हैं।
इस घोटाले से न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता प्रभावित हुई है, बल्कि युवाओं का सरकारी नौकरियों पर विश्वास भी डगमगा गया है। यदि समय रहते दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर बहस का विषय बन सकता है। प्रशासन ने घायलों के लिए मुआवजे की घोषणा की है, लेकिन असली न्याय चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करने से ही संभव है।
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