लखनऊ 15 सितंबर 2025। Recruitment Scam: उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में एक बड़ा भर्ती घोटाला सामने आया है, जो 2016 की एक्स-रे टेक्नीशियन भर्ती से जुड़ा है। उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) द्वारा की गई इस भर्ती में 403 पदों पर नियुक्तियां हुईं, लेकिन जांच में पाया गया कि कई मामलों में एक ही नाम और दस्तावेजों का इस्तेमाल कर कई लोगों को नौकरी दी गई। सबसे चौंकाने वाला खुलासा ‘अर्पित सिंह’ नाम के एक व्यक्ति के नाम पर हुआ, जहां छह लोग छह अलग-अलग जिलों में नौकरी कर रहे थे। ये फर्जी नियुक्तियां पिछले नौ वर्षों से चली आ रही हैं, जिससे राज्य के खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है।
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स्वास्थ्य निदेशालय ने इस घोटाले को ‘प्रमुख कुप्रथा’ करार दिया है, और अब पुरानी भर्तियों की भी गहन जांच के आदेश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से पूछताछ की संभावना जताई है। जांच के दौरान पता चला कि अर्पित सिंह के नाम पर छह व्यक्तियों ने 2016 से वेतन आहरण किया। इनमें से चार का स्थायी पता एक ही था, जबकि दो के अलग थे। इसी तरह, ‘अंकुर मिश्रा’ नाम पर दो लोग नियुक्त थे एक मैनपुरी जिले में और दूसरा मुजफ्फरपुर स्वास्थ्य केंद्र में। ‘अंकित’ नाम पर भी छह फर्जी नियुक्तियां पाई गईं।
प्रत्येक फर्जी कर्मचारी ने नौ वर्षों में औसतन 58 लाख रुपये का वेतन लिया, जिससे कुल 35 करोड़ रुपये से अधिक का सरकारी नुकसान हुआ। पूर्व स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. बद्री विश्वाल ने कहा कि यह अनियमितता भर्ती प्रक्रिया के हर स्तर पर लापरवाही को दर्शाती है। बैकग्राउंड चेक की कमी और जिलों के बीच समन्वय न होने से यह संभव हुआ। स्वास्थ्य विभाग ने अभी तक एफआईआर दर्ज नहीं की, लेकिन सभी 403 नियुक्तियों की जांच का आदेश दिया है। लखनऊ में एक केस दर्ज हो चुका है, जिसमें धोखाधड़ी और जालसाजी के पुराने आईपीसी धाराओं के तहत कार्रवाई हो रही है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस घोटाले को स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर सीधा प्रहार बताते हुए पुरानी भर्तियों की भी जांच के निर्देश दिए हैं। स्वास्थ्य निदेशालय ने स्पष्ट किया कि ‘एक भी फर्जी उम्मीदवार को बख्शा नहीं जाएगा’। अब राज्य भर में 1,200 से अधिक पुरानी भर्तियों पर नजर रखी जा रही है, जहां इसी तरह की अनियमितताएं हो सकती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घोटाला केवल भर्ती तक सीमित नहीं, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। फर्जी टेक्नीशियन के कारण मरीजों को सही इलाज न मिलना एक बड़ा खतरा है। विभाग ने मुख्य चिकित्सा अधिकारियों से फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट मांगी है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का वादा किया है। यदि जांच में बड़ी साजिश सामने आई, तो कई अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई हो सकती है।
यह घोटाला उत्तर प्रदेश में भर्ती प्रक्रियाओं की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है। विपक्ष ने योगी सरकार पर निशाना साधा है, जबकि भाजपा इसे अखिलेश यादव सरकार काल की देन बता रही है। स्वास्थ्य विभाग ने आश्वासन दिया है कि जांच पूरी होने पर जिम्मेदारों को सजा मिलेगी। कुल मिलाकर, यह मामला न केवल आर्थिक हानि का है, बल्कि युवाओं के भविष्य और स्वास्थ्य सेवाओं पर भी असर डालता है। सरकार को अब सख्त सिस्टम लागू करने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।








