लखनऊ 13 सितंबर 2025। Ration Card Fraud: उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है, जहां अमीर और अपात्र लोग गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के राशन कार्ड बनवा कर मुफ्त अनाज का लाभ उठा रहे थे। शासन स्तर से भेजी गई सूची के आधार पर करीब 25 हजार राशन कार्ड निरस्त करने की कार्रवाई शुरू हो गई है। इनमें इंजीनियर, डॉक्टर, सरकारी अधिकारी और करोड़पति व्यवसायी शामिल हैं, जो अपनी ऊंची कमाई छिपाकर राशन कार्ड बना बैठे थे। यह धांधली राशन डीलरों और विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से की गई, जिससे असली जरूरतमंदों का हक छिना जा रहा था।
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बागपत के पूर्ति विभाग ने सख्ती बरतते हुए इन अपात्र कार्डों की जांच तेज कर दी है, और चोरी पकड़े जाने पर जुर्माना व कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है। यह मामला न केवल सरकारी योजनाओं पर सवाल खड़े करता है, बल्कि गरीबों के साथ अन्याय को भी उजागर करता है।जिले में पिछले कई महीनों से शिकायतें मिल रही थीं कि अमीर लोग राशन कार्ड का दुरुपयोग कर रहे हैं। आधार कार्ड, आय प्रमाण पत्र और संपत्ति विवरण की जांच में पता चला कि कई परिवारों की सालाना आय 2 लाख से अधिक है, फिर भी वे बीपीएल श्रेणी में आ गए।
उदाहरण के लिए, एक इंजीनियर जो सरकारी नौकरी में लाखों कमाता है, उसके नाम पर कार्ड बना था। इसी तरह, करोड़पति व्यापारी और बड़े भूस्वामी भी लिस्ट में हैं। शासन ने डिजिटल वेरिफिकेशन के जरिए इनकी पहचान की, और अब निरस्ती की प्रक्रिया चल रही है। बागपत के एआरओ पूर्ति विभाग जोगेंद्र सिंह ने बताया कि अपात्रों की पूरी लिस्ट शासन से प्राप्त हो चुकी है और सभी कार्ड रद्द किए जाएंगे।
फर्जी कार्डों की साजिश
डीलरों की भूमिका संदिग्धराशन कार्ड बनाने का यह खेल सुनियोजित था। राशन डीलरों ने उन लोगों को टारगेट किया जो राशन लेने नहीं आते थे। फिर बहाने बनाकर उनके नाम पर कार्ड जारी कर दिए गए, और उनके कोटे का अनाज डीलर खुद बेच देते थे। विभागीय अधिकारियों की निगरानी की कमी ने इस फर्जीवाड़े को पनपने दिया। जांच में पाया गया कि कई कार्डधारक तो सालों से मृत हो चुके थे, लेकिन उनके नाम पर अनाज वितरण जारी था। बागपत जैसे ग्रामीण जिले में यह समस्या गंभीर है, जहां गरीबी की सच्ची तस्वीर को धुंधला किया जा रहा है।
शासन ने साफ निर्देश दिए हैं कि ऐसी चोरी पकड़े जाने पर दुकान निरस्ती के साथ-साथ जुर्माना लगेगा। एक डीलर के खिलाफ पहले ही कार्रवाई शुरू हो चुकी है, जो 50 से अधिक फर्जी कार्डों से जुड़ा था। यह धांधली राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना को कमजोर कर रही है, जो कोविड काल से मुफ्त राशन दे रही है। अपात्र लोग अनाज लेकर बाजार में ऊंचे दाम पर बेच रहे थे, जिससे कालाबाजारी बढ़ी। बागपत प्रशासन ने अब ई-पॉस मशीनों से वितरण को और पारदर्शी बनाने का फैसला लिया है। आधार लिंकिंग अनिवार्य कर दी गई है, ताकि भविष्य में ऐसा फर्जीवाड़ा न हो।
निरस्ती की प्रक्रिया
25 हजार कार्डों को निरस्त करने की तैयारी की जा रही है। शासन की सूची में शामिल 25 हजार कार्डों की जांच पूरी हो चुकी है। इनमें से अधिकांश अमीर वर्ग के हैं, जिनकी आय सीमा से बाहर है। निरस्ती के बाद इन परिवारों को सामान्य श्रेणी में डाल दिया जाएगा, और मुफ्त राशन का लाभ बंद हो जाएगा। यदि कोई अपील करता है, तो आय प्रमाण के साथ साबित करना होगा। विभाग ने चेतावनी दी है कि फर्जी दस्तावेज बनाने वालों पर आईपीसी की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज होगा।
बागपत के अलावा, यूपी के अन्य जिलों में भी ऐसी कार्रवाई तेज हो रही है। पिछले साल 1 लाख से अधिक कार्ड निरस्त हो चुके हैं। सरकार की ये कार्रवाई असली गरीबों को न्याय दिलाएगी। बागपत में हजारों जरूरतमंद परिवार इंतजार कर रहे थे, लेकिन फर्जी कार्डों से उनका कोटा कम हो रहा था। निरस्ती से बचने वाले संसाधन अब सही लाभार्थियों तक पहुंचेंगे। सरकार की यह पहल ‘आत्मनिर्भर भारत’ को मजबूत करेगी, जहां योजनाओं का सही उपयोग सुनिश्चित हो। हालांकि, जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है, ताकि लोग स्वेच्छा से अपात्रता स्वीकार करें। कुल मिलाकर, 25 हजार कार्डों पर गिरने वाली गाज फर्जीवाड़े पर लगाम लगाएगी।
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