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उत्तराखंड में बारिश का कहर: चारधाम यात्रा ठप, हिमालयी राज्यों में ऑरेंज अलर्ट

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उत्तराखंड में भारी बारिश और भूस्खलन ने मचाई तबाही, चारधाम यात्रा पर संकटउत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में मॉनसून की तीव्रता ने सामान्य जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन की घटनाएं बढ़ गई हैं, जिसके चलते चारधाम यात्रा को अस्थायी रूप से रोक दिया गया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग, चमोली, टिहरी और उत्तरकाशी सहित कई जिलों में भारी बारिश और भूस्खलन की चेतावनी के साथ ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।

चारधाम यात्रा पर असर, श्रद्धालु परेशान

चारधाम यात्रा, जो लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का प्रतीक है, इस बार मौसम की मार झेल रही है। केदारनाथ और बद्रीनाथ मार्ग पर भूस्खलन के कारण सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं। सोनप्रयाग और गौरीकुंड में हजारों तीर्थयात्री फंसे हुए हैं। मुनकटिया और छोरी गदेरे में मलबा और बड़े-बड़े पत्थर गिरने से रास्ते पूरी तरह बंद हो गए हैं। स्थानीय प्रशासन ने मुनकटिया भूस्खलन क्षेत्र को पैदल यात्रियों के लिए आंशिक रूप से खोल दिया है और शटल सेवाओं के माध्यम से श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि, बार-बार गिर रहे पत्थरों ने राहत कार्यों में बाधा डाली है। रुद्रप्रयाग पुलिस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर जानकारी साझा करते हुए कहा, “जब तक सड़कें पूरी तरह सुरक्षित नहीं हो जातीं, यात्रा शुरू नहीं होगी।” बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग भी चमोली जिले के पिपलकोटी, नंदप्रयाग और उमट्टा में भूस्खलन के कारण बंद है। यमुनोत्री मार्ग पर भी बाढ़ और मलबे ने आवागमन को मुश्किल बना दिया है।

मुख्यमंत्री ने लिया जायजा, आपातकालीन उपाय शुरू

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण किया। उन्होंने उत्तरकाशी के सिलाई बांद और ओजरी बांद क्षेत्रों में क्षतिग्रस्त सड़कों का जायजा लिया और अधिकारियों को तत्काल राहत कार्य शुरू करने के निर्देश दिए। धामी ने कहा, “श्रद्धालुओं की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। यात्रा को तब तक रोका गया है, जब तक मौसम और सड़कें पूरी तरह सुरक्षित नहीं हो जातीं।” राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र (SEOC) ने बताया कि उत्तराखंड में 113 से अधिक सड़कें भूस्खलन के कारण बंद हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग और लोक निर्माण विभाग (PWD) की टीमें मलबा हटाने में जुटी हैं, लेकिन लगातार बारिश के कारण कार्य में देरी हो रही है।

हिमाचल में भी स्थिति गंभीर, 78 की मौत

उत्तराखंड के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश में भी बारिश ने तबाही मचाई है। पिछले दो दिनों में भूस्खलन और बाढ़ के कारण 78 लोगों की मौत हो चुकी है। हिमाचल में मंडी जिले में बादल फटने की घटना ने स्थिति को और गंभीर कर दिया है। मौसम विभाग ने हिमाचल के कई जिलों में रेड अलर्ट जारी किया है।

मौसम का पूर्वानुमान और सावधानी

मौसम विभाग ने 7 और 8 जुलाई के लिए उत्तराखंड और हिमाचल में भारी बारिश की चेतावनी दी है। भूस्खलन और बाढ़ का खतरा बढ़ने के कारण पर्यटकों और स्थानीय लोगों को पहाड़ी क्षेत्रों में यात्रा से बचने की सलाह दी गई है। स्कूलों में भी विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं। स्थानीय प्रशासन ने आपातकालीन खाद्य और चिकित्सा आपूर्ति की व्यवस्था की है। राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) ने सोनप्रयाग में फंसे 40 से अधिक तीर्थयात्रियों को सुरक्षित निकाला। प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्य तेजी से चल रहे हैं।

श्रद्धालुओं की संख्या में कमी

लगातार बारिश और भूस्खलन के कारण चारधाम यात्रा में तीर्थयात्रियों की संख्या में भारी कमी आई है। जहां कुछ हफ्ते पहले प्रतिदिन 50,000 से अधिक श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंच रहे थे, वहीं अब यह संख्या घटकर 14,000-15,000 प्रतिदिन रह गई है। केदारनाथ में जहां रोजाना 20,000 से अधिक लोग दर्शन करते थे, वहां अब यह आंकड़ा 4,000 के आसपास सिमट गया है।

निष्कर्ष

उत्तराखंड और हिमाचल में मॉनसून की इस आपदा ने एक बार फिर पहाड़ी क्षेत्रों की भौगोलिक संवेदनशीलता को उजागर किया है। प्रशासन और मौसम विभाग की ओर से बार-बार चेतावनी जारी की जा रही है, लेकिन प्रकृति के प्रकोप के सामने सभी प्रयास सीमित नजर आ रहे हैं। श्रद्धालुओं और पर्यटकों से अपील है कि वे मौसम संबंधी अपडेट्स का पालन करें और सुरक्षित स्थानों पर रहें।

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