नई दिल्ली, 22 अक्टूबर 2025। Radar Code Controversy: भारतीय वायुसेना के महत्वाकांक्षी तेजस एमके-1ए लड़ाकू विमान कार्यक्रम पर इजरायल से जुड़ा एक नया विवाद छा गया है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने 83 विमानों के लिए इजरायली एल्टा सिस्टम्स के ईएल/एम-2052 एईएसए रडार चुना है, लेकिन इजरायल ने इसका सोर्स कोड साझा नहीं किया। इससे डीआरडीओ की स्वदेशी अस्त्र Mk1 मिसाइल का इंटीग्रेशन रुक गया है, जिसके चलते विमान की डिलीवरी में भारी देरी हो रही है।
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मूल रूप से फरवरी 2024 में शुरू होने वाली डिलीवरी अब पहली तिमाही 2026 तक खिसक चुकी है, और पूर्ण परिचालन मंजूरी (एफओसी) दिसंबर 2025 के लक्ष्य से आगे चली गई है।यह समस्या 2016 के इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) के साथ लाइसेंस समझौते से उपजी है, जिसमें रडार का कोर सॉफ्टवेयर और फर्मवेयर इजरायल के नियंत्रण में है। एचएएल ने भारत में रडार का निर्माण तो शुरू कर दिया, लेकिन सॉफ्टवेयर संशोधन के लिए इजरायली मंजूरी जरूरी है।

मार्च 2025 में अस्त्र मिसाइल का टेस्ट फायरिंग विफल रहा, क्योंकि रडार के साथ सॉफ्टवेयर गाइडेंस में खराबी आ गई। एचएएल चेयरमैन डी.के. सुनील ने पुष्टि की कि अस्त्र के सॉफ्टवेयर बदलाव की मंजूरी का इंतजार है। नासिक फैसिलिटी में निर्मित पहला तेजस एमके-1ए ने 17 अक्टूबर को अपनी पहली उड़ान भरी, लेकिन अपग्रेड ट्रायल्स में यह बाधा बनी हुई है। यह विवाद स्वदेशीकरण अभियान ‘आत्मनिर्भर भारत’ को झटका दे रहा है।
एचएएल ने डीआरडीओ के उत्तम एईएसए रडार और स्वयं रक्षा कवच (एसआरके) ईडब्ल्यू सुइट को 41वें विमान से इंटीग्रेट करने का वादा किया था, लेकिन सर्टिफिकेशन डिले का हवाला देकर इजरायली सिस्टम को प्राथमिकता दी। डीआरडीओ असहमत है, दावा करता है कि उत्तम रडार 2023 में उत्पादन के लिए प्रमाणित हो चुका है और चार फेज के फ्लाइट ट्रायल पूरे हो गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि विदेशी सॉर्स कोड पर निर्भरता युद्ध या प्रतिबंधों में जोखिम बढ़ाती है।
पूर्व एयर चीफ मार्शल वी.आर. चौधरी ने तेजस एमके-2 को प्राथमिकता देने की सलाह दी, ताकि विदेशी निर्भरता कम हो।क्या यह अमेरिका या फ्रांस जैसी अड़चनें लाएगा? हां, समानताएं स्पष्ट हैं। अमेरिका की जीई एयरोस्पेस से एफ-404 इंजन सप्लाई में कई डेडलाइन मिस हो चुकी हैं, जिससे उत्पादन सीमित हो गया। फ्रांस की डसॉल्ट के साथ राफेल मरीन डील में उत्तम रडार को अंतिम कॉन्फिगरेशन से हटा दिया गया, निर्माता के दबाव में।
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका, इजरायल और फ्रांस जैसी विदेशी लॉबीज भारतीय कंपोनेंट्स को कम करने की कोशिश करती रहती हैं। 48,000 करोड़ के डील से मिग-21 स्क्वाड्रनों को बदलने का लक्ष्य 2029 तक है, लेकिन ये बाधाएं राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल उठा रही हैं। सरकार को स्वदेशी तकनीक पर जोर देकर इन जोखिमों को कम करना होगा, वरना तेजस का भविष्य अनिश्चित हो सकता है।
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