-
पुतिन का ‘प्रिय दोस्त’ को तोहफा, भारत-रूस रक्षा सहयोग में नया अध्याय
-
ऑपरेशन सिंदूर में S-400 की सफलता,भारत की रक्षा ताकत को मिलेगी और मजबूती
नई दिल्ली, 3 सितंबर 2025। Putin’s Gift to India: भारत ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चेतावनियों को दरकिनार करते हुए रूस के साथ S-400 ट्रायम्फ एयर डिफेंस सिस्टम की अतिरिक्त डिलिवरी के लिए बातचीत को और तेज कर दिया है। यह कदम भारत की सामरिक स्वायत्तता और रूस के साथ दशकों पुराने रक्षा संबंधों को दर्शाता है।
इसे भी पढ़ें- मोदी-पुतिन की कार में 45 मिनट की गोपनीय बातचीत, SCO समिट के बाद रूसी राष्ट्रपति ने PM के लिए किया 10 मिनट इंतजार
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना ‘प्रिय दोस्त’ कहकर संबोधित किया और दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई। इस मुलाकात में S-400 सिस्टम की नई आपूर्ति पर चर्चा हुई, जिसके तहत रूस 2026 और 2027 में अंतिम दो यूनिट्स भारत को सौंपेगा। भारत ने 2018 में रूस के साथ 5.5 अरब डॉलर का समझौता किया था, जिसमें पांच S-400 सिस्टम की आपूर्ति शामिल थी। इनमें से तीन यूनिट्स भारत को मिल चुकी हैं, जो पंजाब और अन्य सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात हैं।
ये सिस्टम मई 2025 में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान अपनी प्रभावशीलता साबित कर चुके हैं, जब भारतीय वायुसेना ने इनके जरिए पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम कर दिया था। भारतीय वायुसेना प्रमुख अमर प्रीत सिंह ने खुलासा किया कि S-400 ने पांच पाकिस्तानी जेट्स, जिनमें अमेरिकी F-16 शामिल थे और एक निगरानी विमान को 300 किलोमीटर की दूरी से मार गिराया था।
यह उपलब्धि S-400 की तकनीकी क्षमता और भारत की रक्षा तैयारियों का प्रमाण है। रूस के सैन्य-तकनीकी सहयोग के प्रमुख दिमित्री शुगायेव ने कहा, “हम इस क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार हैं। नई डिलिवरी पर बातचीत चल रही है।” S-400, जिसे नाटो में SA-21 ग्रोलर के नाम से जाना जाता है। दुनिया का सबसे उन्नत लंबी दूरी का सतह-से-हवा मिसाइल सिस्टम है। यह 400 किलोमीटर की रेंज में विमान, ड्रोन, क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों को निशाना बना सकता है।
इसकी रडार प्रणाली 600 किलोमीटर तक खतरों का पता लगा सकती है और एक साथ 300 से अधिक लक्ष्यों को ट्रैक कर सकती है। भारत ने इस सिस्टम को चीन और पाकिस्तान से संभावित खतरों के खिलाफ एक रक्षा कवच के रूप में चुना है। अमेरिका ने 2017 में काउंटरिंग अमेरिका’ज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट (CAATSA) के तहत भारत को इस सौदे के लिए संभावित प्रतिबंधों की चेतावनी दी थी। हाल ही में ट्रंप प्रशासन ने भारत के रूस से तेल आयात और S-400 खरीद पर 50% टैरिफ लगाए, लेकिन भारत ने अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को प्राथमिकता दी।
विदेश सचिव विजय गोखले ने 2019 में स्पष्ट किया था कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर निर्णय लेगा। S-400 की सफलता और रूस के साथ नए समझौते की चर्चा ने ट्रंप के दबाव को बेअसर कर दिया है। रूस भारत का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता बना हुआ है। स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) के अनुसार, 2020-2024 के बीच भारत के हथियार आयात का 36% रूस से हुआ।
भारत ने CAATSA से छूट हासिल करने के लिए कूटनीतिक चतुराई का परिचय दिया, जिसे अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबियो जैसे नेताओं ने समर्थन दिया। रूस ने भी भारत को सस्ते तेल की पेशकश की है, जिससे दोनों देशों के बीच आर्थिक और रक्षा सहयोग और मजबूत हो रहा है। S-400 की नई डिलिवरी भारत की वायु रक्षा प्रणाली को और मजबूत करेगी, खासकर तब जब क्षेत्रीय तनाव बढ़ रहे हैं।
भारत ने स्वदेशी आकाश मिसाइल सिस्टम और DRDO के प्रोजेक्ट ‘कुशा’ के साथ अपनी रक्षा क्षमताओं को और बढ़ाने की योजना बनाई है। यह कदम न केवल भारत की रक्षा नीति को मजबूत करता है, बल्कि वैश्विक मंच पर उसकी स्वतंत्र विदेश नीति को भी रेखांकित करता है।
इसे भी पढ़ें- Russia–Ukraine War: ट्रंप की पुतिन और जेलेंस्की से बातचीत, जल्द खत्म हो सकता है रूस-यूक्रेन युद्ध!