छतरपुर। 7 अगस्त 2025। लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर रविकांत चंदन के खिलाफ मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के बमीठा थाने में FIR दर्ज की गई है। प्रोफेसर रविकांत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर गंभीर आरोप लगाते हुए उन्हें “महिला तस्कर” बताया था।
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इस पोस्ट में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी “नॉन-बायोलॉजिकल” कहकर तंज कसा था। यह विवाद तब शुरू हुआ जब छतरपुर पुलिस ने 28 जुलाई 2025 की रात एक एम्बुलेंस को रोका, जिसमें 13 महिलाएं संदिग्ध परिस्थितियों में पाई गई थीं। पूछताछ में पता चला कि ये महिलाएं बागेश्वर धाम में अपनी पहचान छिपाकर रह रही थीं और कथित तौर पर अनैतिक गतिविधियों में शामिल थीं। प्रोफेसर रविकांत ने इस घटना का एक वीडियो शेयर करते हुए अपनी पोस्ट में लिखा, “नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा घोषित छोटा भाई धीरेंद्र शास्त्री धर्म की आड़ में महिला तस्करी कर रहा है। इसकी गहन जांच होनी चाहिए और दोषी पाए जाने पर फांसी की सजा मिलनी चाहिए।”
इस टिप्पणी ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं उत्पन्न कीं और बागेश्वर धाम समिति के सदस्य धीरेंद्र कुमार गौर ने इसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। शिकायत में कहा गया कि प्रोफेसर की टिप्पणी ने हिंदू धर्म के अनुयायियों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई और सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने का प्रयास किया। पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 353(2) के तहत मामला दर्ज किया, जिसमें धार्मिक भावनाएं आहत करने और सामाजिक वैमनस्य फैलाने का आरोप शामिल है। इसके जवाब में, पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर इन आरोपों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने कहा, “कुछ लोग सनातन धर्म को बदनाम करने और हिंदुओं को बांटने की साजिश रच रहे हैं।
हम जातिवाद के खिलाफ और हिंदू एकता के लिए काम कर रहे हैं, जिससे कुछ लोग बेचैन हैं। हम हिंदुत्व और हिंदुस्तान की सेवा में लगे रहेंगे, चाहे कितने भी झूठे आरोप लगें।” उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि उनकी आगामी पदयात्रा (7 से 16 नवंबर 2025) की घोषणा से कुछ लोगों की परेशानी बढ़ गई है। लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, विश्वविद्यालय इस मामले की निगरानी कर रहा है। प्रोफेसर रविकांत पहले भी विवादों में रह चुके हैं। वर्ष 2022 में काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मामले में उनकी टिप्पणी को लेकर छात्रों ने उनके खिलाफ प्रदर्शन किया था और एक छात्र ने उन पर हमला भी किया था। इस मामले की जांच जारी है, और पुलिस ने बताया कि आवश्यकता पड़ने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
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