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बिहार में एसआईआर पर गरमाई सियासत: राबड़ी देवी ने तेजस्वी की सुरक्षा पर उठाए सवाल

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बिहार में चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। राजद नेता राबड़ी देवी ने इस प्रक्रिया का जोरदार विरोध करते हुए इसे बिहार की जनता के अधिकारों का हनन बताया है। उन्होंने सवाल उठाया कि जो 4 करोड़ लोग राज्य से बाहर काम करने गए हैं, उनका वोटर लिस्ट में क्या होगा? साथ ही, उन्होंने पांच दिनों से विधानसभा में हो रहे एसआईआर विरोध को जायज ठहराया और राज्य सरकार से इसका जवाब मांगा।

राबड़ी देवी ने इस दौरान बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि तेजस्वी यादव की जान को खतरा है। उन्होंने दावा किया कि तेजस्वी को ट्रक से मारने के चार प्रयास किए गए हैं और कहा कि उन्हें पता है, इस साजिश के पीछे कौन है। उन्होंने सीधे तौर पर BJP और JDU को तेजस्वी की जान के लिए जिम्मेदार ठहराया।

विधानसभा में गरमा-गरमी

बिहार विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान तेजस्वी यादव और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के बीच तीखी बहस देखने को मिली। तेजस्वी ने एसआईआर में गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए कहा कि BLO खुद ही फॉर्म्स पर हस्ताक्षर कर रहे हैं। इस पर सम्राट चौधरी भड़क गए और तेजस्वी पर व्यक्तिगत हमला करते हुए कहा, “तुम्हारा बाप भी अपराधी है, तुम लुटेरे हो, दफा हो जाओ।” यह बयान विधानसभा में भारी हंगामे की वजह बना।

सोशल मीडिया पर छिड़ी जुबानी जंग

बात केवल सदन तक ही सीमित नहीं रही, सोशल मीडिया पर भी नेताओं की बयानबाजी जारी रही। तेजस्वी यादव ने एक पुराना वीडियो शेयर किया, जिसमें सम्राट चौधरी के पिता शकुनी चौधरी प्रधानमंत्री मोदी को “धरती में गाड़ने” की धमकी दे रहे हैं। तेजस्वी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने डर के मारे सम्राट चौधरी को उपमुख्यमंत्री बनाया है।

विपक्ष का सड़क से संसद तक विरोध

एसआईआर के खिलाफ आरजेडी के साथ कांग्रेस और सपा भी मैदान में उतर गई हैं। राहुल गांधी और अखिलेश यादव ने राज्यसभा के बाहर काले कपड़े पहनकर एसआईआर के विरोध में प्रदर्शन किया। इन दलों का कहना है कि चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया से बिहार की जनता के वैध वोटर राइट्स खतरे में पड़ सकते हैं

चुनाव आयोग की ओर से कहा गया है कि एसआईआर का मकसद बांग्लादेशी घुसपैठियों और फर्जी वोटर्स को मतदाता सूची से हटाना है। लेकिन विपक्ष इसे भाजपा-जेडीयू की जनविरोधी साजिश बता रही है, जिसका असर बिहार की सामाजिक-सियासी फिजा में साफ देखा जा सकता है।

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