बिहार विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर लगातार विवाद गहराता जा रहा है। विपक्ष की तरफ से इसमें गड़बड़ी और पक्षपात के आरोप लगाए जा रहे हैं, वहीं चुनाव आयोग ने अब इस मामले पर स्पष्ट रुख अपनाते हुए अहम फैसला लिया है। आयोग ने कहा है कि अब किसी भी मतदाता का नाम मतदाता सूची से हटाने से पहले नोटिस भेजा जाएगा और व्यक्ति को अपनी पहचान और नागरिकता संबंधी दस्तावेज जमा करने का पूरा अवसर मिलेगा। इसके अलावा, 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित होने वाले प्रारूप में किसी भी मतदाता का नाम नहीं हटाया जाएगा।
चुनाव आयोग की ओर से जारी बयान में यह भी कहा गया है कि प्रारूप प्रकाशन के बाद जिन लोगों के नाम पर आपत्ति दर्ज की जाएगी, उन्हें भी स्पष्टीकरण का पूरा मौका मिलेगा। दस्तावेज सही पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति का नाम सूची में बरकरार रखा जाएगा। मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने या अपडेट करने की अंतिम तिथि 31 जुलाई 2025 तय की गई है।
इस बीच, मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया में बीएलओ यानी बूथ लेवल ऑफिसरों की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठे हैं। रिपोर्ट्स में सामने आया है कि कई बीएलओ लोगों के घर नहीं जा रहे हैं, खुद ही फॉर्म भर रहे हैं और आवश्यक दस्तावेजों की जांच किए बिना ही मतदाताओं का सत्यापन कर रहे हैं। कई जगह तो सिर्फ अंगूठा लगवाकर प्रक्रिया पूरी कर दी गई है, जबकि कहीं मोबाइल पर दस्तावेज दिखाकर ही काम चला लिया गया है। ऐसी लापरवाही के चलते राज्य भर में अब तक 100 से ज्यादा BLO पर कार्रवाई की जा चुकी है। सिर्फ पटना जिले के पालीगंज विधानसभा क्षेत्र में ही 35 BLO को निलंबित या चेतावनी दी गई है।
इस मतदाता पुनरीक्षण के दौरान एक और चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। सीमावर्ती जिलों में बड़ी संख्या में ऐसे नाम मतदाता सूची में पाए गए हैं जो संभवतः बांग्लादेश या नेपाल के नागरिक हैं। यह खुलासा सामने आने के बाद राजनीतिक पारा चढ़ गया है। आयोग ने तुरंत जांच के आदेश दे दिए हैं और कहा है कि अगर किसी भी व्यक्ति का नाम फर्जी तरीके से जोड़ा गया है, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इस पूरे विवाद और कार्रवाई के बीच चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मतदाता सूची की शुद्धता से कोई समझौता नहीं होगा। आयोग पारदर्शिता, निष्पक्षता और कानून के तहत ही कार्रवाई करेगा ताकि राज्य में निष्पक्ष चुनाव संपन्न कराए जा सकें। मतदाताओं से भी आग्रह किया गया है कि वे समय पर अपना विवरण जांच लें और किसी भी गड़बड़ी की स्थिति में दस्तावेजों के साथ सुधार करवाएं, ताकि उन्हें अपने लोकतांत्रिक अधिकारों के इस्तेमाल से वंचित न रहना पड़े।