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ABVP छात्रों का आक्रोश, भ्रष्टाचार के खिलाफ उग्र प्रदर्शन
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सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद, नुकीले बल्लम और पुलिस अलर्ट
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सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी पर सवाल, क्या छिपा रहे राजभर?
लखनऊ, 8 सितंबर 2025। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में सियासी माहौल तब गर्म हो गया, जब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ताओं ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के अध्यक्ष और बीजेपी सहयोगी ओम प्रकाश राजभर के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन शुरू किया। ABVP ने राजभर पर भ्रष्टाचार और शिक्षा क्षेत्र में अनियमितताओं के गंभीर आरोप लगाए हैं। इस प्रदर्शन के जवाब में राजभर के सरकारी आवास की सुरक्षा को अभूतपूर्व रूप से बढ़ा दिया गया है।
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आवास के चारों ओर नुकीले बल्लम लगाए गए हैं, और सुरक्षाकर्मियों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। यह घटनाक्रम न केवल राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है, बल्कि आम जनता के बीच भी कई सवाल खड़े कर रहा है।
ABVP का उग्र प्रदर्शन और भ्रष्टाचार के आरोप
ABVP, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से संबद्ध एक छात्र संगठन है और देशभर में 55 लाख से अधिक सदस्यों का दावा करता है, ने राजभर के खिलाफ भ्रष्टाचार और शिक्षा क्षेत्र में अवैध वसूली के आरोप लगाए हैं। संगठन के कार्यकर्ताओं ने लखनऊ में राजभर के सरकारी आवास के बाहर प्रदर्शन शुरू किया, जिसमें सैकड़ों छात्रों ने हिस्सा लिया। प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए, जैसे “भ्रष्टाचार बंद करो” और “शिक्षा के साथ खिलवाड़ नहीं”। ABVP ने दावा किया कि राजभर द्वारा संचालित कुछ शिक्षण संस्थानों में अनियमितताएं और फर्जी नियुक्तियों का खेल चल रहा है। संगठन ने इसे छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बताया और तत्काल जांच की मांग की।
आवास की किलेबंदी और सुरक्षा व्यवस्था
प्रदर्शन की तीव्रता को देखते हुए राजभर के सरकारी आवास की सुरक्षा को चाक-चौबंद कर दिया गया है। स्थानीय प्रशासन ने आवास के चारों ओर नुकीले बल्लम और कांटेदार तार लगवाए हैं, ताकि प्रदर्शनकारी परिसर में प्रवेश न कर सकें। इसके अलावा, पुलिस और निजी सुरक्षाकर्मियों की संख्या में भारी इजाफा किया गया है। सूत्रों के अनुसार, राजभर ने अतिरिक्त सुरक्षा की मांग की थी, क्योंकि उन्हें प्रदर्शनकारियों से खतरा महसूस हो रहा था। लखनऊ पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त बल तैनात किए हैं, और कुछ क्षेत्रों में बैरिकेड्स भी लगाए गए हैं। यह किलेबंदी राजभर के डर और उनके खिलाफ बढ़ते जनाक्रोश को दर्शाती है।
सियासी घमासान और बीजेपी की चुप्पी
यह विवाद तब और गहरा गया, जब आप ने इस मुद्दे को उठाते हुए बीजेपी पर निशाना साधा। आप ने राजभर को बीजेपी का सहयोगी बताते हुए पूछा कि क्या यह “फुलेरा पंचायत” जैसा शासन है, जहां अनधिकृत लोग सत्ता का दुरुपयोग कर रहे हैं। दूसरी ओर, बीजेपी ने इस मामले पर चुप्पी साध रखी है, जिससे अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या राजभर को पार्टी का समर्थन प्राप्त है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद बीजेपी और SBSP के गठबंधन पर असर डाल सकता है, खासकर 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले।
आगे क्या? राजभर पर बढ़ता दबाव
ABVP ने स्पष्ट किया है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे प्रदर्शन जारी रखेंगे। संगठन ने स्वतंत्र जांच और राजभर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इस बीच, राजभर ने इन आरोपों को “राजनीतिक साजिश” करार देते हुए खारिज किया है। उन्होंने कहा कि ABVP के प्रदर्शन पीछे विपक्षी दलों का हाथ है, जो उनकी छवि खराब करना चाहते हैं। यह विवाद उत्तर प्रदेश की सियासत में नया मोड़ ला सकता है, और राजभर के भविष्य पर सवालिया निशान लगा रहा है।
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