Pitru Pakha 2025: पितृ पक्ष 2025, जो 29 सितंबर से शुरू होकर 14 अक्टूबर तक चलेगा, हिंदू धर्म में पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का विशेष समय है। इस दौरान श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान के माध्यम से पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि श्राद्ध के दौरान कुछ फूलों का उपयोग वर्जित है? धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, कुछ फूल पितरों को अर्पित करने से श्राद्ध अस्वीकार हो सकता है, जिससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता। आइए जानते हैं, किन फूलों से बचना चाहिए और क्यों।
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श्राद्ध में फूलों का महत्वपितृ पक्ष में पितरों को प्रसन्न करने के लिए तर्पण, हवन और दान के साथ-साथ फूलों का अर्पण भी किया जाता है। फूलों को शुद्धता और भक्ति का प्रतीक माना जाता है, लेकिन सभी फूल श्राद्ध के लिए उपयुक्त नहीं होते। शास्त्रों के अनुसार, कुछ फूलों का संबंध देवताओं या अन्य ऊर्जाओं से होता है, जो पितरों के लिए अनुचित माने जाते हैं। गलत फूल चढ़ाने से पितर नाराज हो सकते हैं और श्राद्ध का पुण्य प्रभावित हो सकता है।
कौन से फूल हैं वर्जित?
पंडितों और शास्त्रों के अनुसार, पितृ पक्ष में चमेली, मोगरा, बेला और केवड़ा जैसे सुगंधित फूलों का उपयोग नहीं करना चाहिए। ये फूल अपनी तीव्र सुगंध और भगवान विष्णु, शिव या माता दुर्गा से संबंध के कारण श्राद्ध में अर्पित नहीं किए जाते। इसके अलावा, कांटेदार फूल जैसे गुलाब या रजनीगंधा भी वर्जित हैं, क्योंकि इनका संबंध सांसारिक प्रेम और आकर्षण से माना जाता है। काले रंग के फूल या कृत्रिम फूल भी पितरों को नहीं चढ़ाए जाते, क्योंकि ये अशुभ माने जाते हैं। शास्त्रों में गेंदा, चंपा और मालती जैसे सादे और शुद्ध फूलों को ही श्राद्ध के लिए उचित बताया गया है।
सही फूलों का चयन कैसे करें?
श्राद्ध में गेंदा, चंदन, और मालती जैसे पीले या सफेद फूलों का उपयोग करना चाहिए। ये फूल शांति और पवित्रता का प्रतीक हैं। गंगा जल में डुबोकर इन फूलों को पितरों को अर्पित करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है। पंडितों का कहना है कि फूल ताजे और प्राकृतिक होने चाहिए। साथ ही, श्राद्ध के दौरान स्वच्छता का ध्यान रखें और पितरों के नाम का उच्चारण सही ढंग से करें।
पितृ पक्ष की अन्य सावधानियां
फूलों के अलावा, श्राद्ध में मांस, मदिरा और लहसुन-प्याज जैसे तामसिक भोजन से भी बचना चाहिए। पितरों के लिए सात्विक भोजन जैसे खीर, पूरी और हलवा बनाएं। तर्पण और पिंडदान सही समय और विधि से करें। यदि गलती से वर्जित फूल चढ़ा दिए जाएं, तो पंडित से परामर्श लेकर शांति पूजा करवाएं। पितृ पक्ष में पितरों का आशीर्वाद परिवार की सुख-समृद्धि के लिए जरूरी है।
क्यों जरूरी है सही विधि?
पितृ पक्ष में सही विधि-विधान का पालन करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। गलत फूलों का चयन न केवल श्राद्ध को प्रभावित करता है, बल्कि पारिवारिक समस्याएं भी बढ़ा सकता है। इसलिए, शास्त्रों के अनुसार कार्य करें और पंडितों से सलाह लें। पितृ पक्ष 2025 में अपने पूर्वजों को सही ढंग से श्रद्धांजलि देकर उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
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