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दिल्ली में ‘फुलेरा पंचायत’ विवाद, सीएम रेखा गुप्ता के पति की सरकारी बैठकों में मौजूदगी पर बवाल

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CM Rekha Gupta

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नई दिल्ली, 8 सितंबर 2025। दिल्ली में एक नया राजनीतिक विवाद तब खड़ा हुआ, जब मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के पति, मनीष गुप्ता, शालीमार बाग विधानसभा क्षेत्र में विकास परियोजनाओं की समीक्षा के लिए आयोजित एक सरकारी बैठक में उनके बगल में बैठे नजर आए। इस घटना ने आम आदमी पार्टी (आप) को बीजेपी सरकार पर हमला करने का मौका दे दिया। आप ने इसे “फुलेरा पंचायत” की संज्ञा दी, जो लोकप्रिय वेब सीरीज ‘पंचायत’ के काल्पनिक गांव से प्रेरित है, जहां एक महिला सरपंच के पति अनौपचारिक रूप से प्रशासन चलाते हैं।

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आप ने इस घटना को “असंवैधानिक” और “वंशवादी राजनीति” का उदाहरण बताते हुए बीजेपी पर निशाना साधा। आप के दिल्ली इंचार्ज सौरभ भारद्वाज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर रेखा गुप्ता द्वारा साझा की गई तस्वीरों को पोस्ट करते हुए तीखा हमला बोला। इन तस्वीरों में मनीष गुप्ता, जो एक दिल्ली-आधारित व्यवसायी और सामाजिक कार्यकर्ता हैं, मुख्यमंत्री के बगल में बैठे दिखाई दिए।

भारद्वाज ने लिखा, “दिल्ली सरकार फुलेरा पंचायत बन गई है। जैसे फुलेरा में महिला सरपंच के पति सरपंच की तरह काम करते थे, वैसे ही दिल्ली में सीएम के पति सरकारी बैठकों में बैठ रहे हैं। यह पूरी तरह असंवैधानिक है।” उन्होंने बीजेपी से सवाल किया कि क्या यह वही वंशवादी राजनीति नहीं, जिसके लिए वह कांग्रेस की आलोचना करती रही है? मनीष गुप्ता का कोई आधिकारिक सरकारी पद नहीं है, न ही वे बीजेपी की शालीमार बाग इकाई से औपचारिक रूप से जुड़े हैं। फिर भी, उनकी सरकारी बैठकों में मौजूदगी ने आप को यह दावा करने का आधार दिया कि दिल्ली में संवैधानिक व्यवस्था का मजाक बनाया जा रहा है।

 

आप नेता और पूर्व दिल्ली मंत्री आतिशी ने भी पहले अप्रैल में मनीष गुप्ता की बैठकों में भागीदारी पर सवाल उठाए थे, इसे “प्रधान-पति” व्यवस्था करार दिया था। दूसरी ओर, बीजेपी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। बीजेपी नेता अमित मालवीय ने जवाब में आप पर पलटवार करते हुए कहा कि रेखा गुप्ता अपनी विधानसभा की समीक्षा कर रही थीं, और उनके पति उनकी मदद कर रहे थे, जैसा कि पहले शीला दीक्षित और अरविंद केजरीवाल के परिवार के सदस्यों ने किया था।

उन्होंने आप की सुनीता केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि मनीष गुप्ता ने “अवैध आदेश” जारी नहीं किए, जैसा कि आप शासनकाल में हुआ। इस विवाद ने दिल्ली की राजनीति में एक नया तूफान खड़ा कर दिया है। आप का कहना है कि रेखा गुप्ता ने संविधान और गोपनीयता की शपथ का उल्लंघन किया है। दूसरी ओर, बीजेपी इसे विपक्ष की बौखलाहट करार दे रही है। यह मामला दिल्ली की राजनीति में और गरमा सकता है, क्योंकि आप इसे भ्रष्टाचार और अनैतिक शासन का मुद्दा बनाकर जनता के बीच ले जाना चाहती है।

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