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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले मतदाता सूची की प्रक्रिया पर ओवैसी का सवाल – “क्या इतने कम वक्त में करोड़ों लोगों का नाम नहीं छूटेगा?”

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बिहार में 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। इस प्रक्रिया पर विपक्षी दल लगातार सवाल उठा रहे हैं। अब एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी इस मुद्दे को लेकर चुनाव आयोग के दफ्तर पहुंचे और अपनी चिंता खुलकर जाहिर की।

“हम एसआईआर के खिलाफ नहीं, पर वक्त मिलना चाहिए” – ओवैसी

चुनाव आयोग से मुलाकात के बाद ओवैसी ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा,
“हम विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन इसे पूरा करने के लिए लोगों को समय मिलना चाहिए। अगर 15-20% लोगों के नाम मतदाता सूची से छूट जाते हैं, तो वे न सिर्फ वोट देने से वंचित हो जाएंगे, बल्कि यह उनकी रोज़ी-रोटी और नागरिकता से भी जुड़ा सवाल बन जाएगा।”

ओवैसी ने कहा कि इतने कम वक्त में चुनाव आयोग इस तरह की प्रक्रिया कैसे पूरी करेगा, यह एक गंभीर सवाल है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर जनता को जागरूक होना चाहिए, क्योंकि इसका असर सीधे उनके वोटिंग अधिकार पर पड़ेगा।

पहले भी उठा चुके हैं सवाल

असदुद्दीन ओवैसी इससे पहले भी इस प्रक्रिया पर सवाल उठा चुके हैं। उन्होंने कहा था,
“चुनाव आयोग इसे एक महीने में पूरा करना चाहता है, जो कि व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। क्या आप बता सकते हैं कि अगर नाम छूट गया तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? मेरी आशंका है कि लाखों नहीं बल्कि करोड़ों लोगों के नाम सूची से गायब हो सकते हैं, और वे अपने मताधिकार से वंचित हो जाएंगे।”

“बिना नोटिस नाम हटाना गलत”, ओवैसी ने दिलाया सुप्रीम कोर्ट का फैसला याद

ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले का भी हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि
“यदि कोई व्यक्ति पहले से मतदाता सूची में नामांकित है, तो उसे बिना नोटिस और उचित प्रक्रिया के सूची से नहीं हटाया जा सकता।”

उन्होंने बिहार के युवा पलायन और सीमांचल क्षेत्र की बाढ़ समस्या का भी जिक्र किया।
“बिहार के हजारों युवा रोज़गार के लिए पंजाब, केरल, दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद जाते हैं। सीमांचल का बड़ा हिस्सा बाढ़ में घिरा रहता है। अब चुनाव आयोग कहता है कि एक महीने में बीएलए घर-घर जाकर नामों की पुष्टि कर लेगा। क्या यह मुमकिन है?” ओवैसी ने कहा।

चुनाव आयोग पर उठे भरोसे के सवाल

ओवैसी का कहना है कि जब चुनाव आयोग इतनी जल्दबाजी में नामों की जांच करेगा तो कई जरूरी नाम सूची से गायब हो सकते हैं, और इससे चुनाव की पारदर्शिता पर भी सवाल उठ सकते हैं।

कुल मिलाकर, ओवैसी ने चुनाव आयोग के सामने अपनी स्पष्ट चिंता रखी है कि अगर एसआईआर जैसी प्रक्रिया को सही तरीके से समय नहीं दिया गया, तो यह लाखों लोगों के मतदान अधिकार पर असर डाल सकती है। अब देखना है कि चुनाव आयोग इस मुद्दे पर क्या कदम उठाता है और विपक्ष की इन बातों का क्या जवाब देता है।

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