नई दिल्ली,1 नवंबर 2025। Nyoma Airbase: भारत ने अपनी वायुसेना की ताकत को हिमालय की चोटियों पर नई ऊंचाई दी है। पूर्वी लद्दाख के चांगथांग क्षेत्र में स्थित न्योमा (मुध) एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (ALG) अब पूरी तरह से चालू हो चुका है। 13,700 फीट की दुर्गम ऊंचाई पर बसा यह एयरबेस दुनिया का सबसे ऊंचा परिचालन एयरफील्ड बन गया है।
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31 अक्टूबर 2025 से यह फुली ऑपरेशनल है, जिससे LAC पर भारत की हवाई ताकत में भारी इजाफा हुआ है। सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में SU-30 एमकेआई फाइटर जेट्स को यहां से उड़ान भरते देखा जा सकता है। यह कदम चीन और पाकिस्तान के लिए चेतावनी है, खासकर सिंधु नदी घाटी के पास होने से। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उद्घाटन के बाद यह बेस भारत की स्ट्रैटेजिक पोजिशन को मजबूत कर रहा है।

न्योमा का स्ट्रैटेजिक महत्व
न्योमा एयरबेस लेह से करीब 160 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में, पैंगोंग त्सो झील के दक्षिण और काराकोरम पर्वत श्रृंखला के पूर्व में स्थित है। यह LAC के बेहद करीब है, जिससे चीन के साथ तनावपूर्ण सीमा पर त्वरित हवाई अभियान संभव हो गए हैं।
India Takes Air Power to New Heights 🇮🇳✈️
Changthang Nyoma (Mudh) Airbase in Eastern Ladakh — world’s highest at 13,700 ft — is now fully operational, fortifying India’s Himalayan frontier!
Bharat Mata Ki Jai! pic.twitter.com/vqTNKar3U6
— Jamyang Tsering Namgyal (@jtnladakh) October 30, 2025
ऊंचाई के कारण यहां ऑक्सीजन की कमी और कठोर मौसम चुनौतियां पैदा करते हैं, लेकिन अपग्रेडेड रनवे और सुविधाओं ने इसे फाइटर जेट्स के लिए तैयार कर दिया है। AN-32 और C-130 सुपर हरक्यूलिस जैसे ट्रांसपोर्ट विमान पहले से ही यहां से सैनिकों और आपूर्ति पहुंचा रहे थे। अब SU-30 जैसे लड़ाकू विमान तेजी से डिप्लॉय हो सकेंगे, जो पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन एयर पावर बैलेंस को बदल देंगे।
पाकिस्तान के लिए भी यह चिंता का विषय है, क्योंकि सिंधु नदी के पास होने से क्षेत्रीय सुरक्षा प्रभावित होगी। यह एयरफील्ड पहली बार 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान बनाया गया था, लेकिन लंबे समय तक निष्क्रिय रहा। 2009 में भारतीय वायुसेना ने इसे रिएक्टिवेट किया, जब चंडीगढ़ से AN-32 ने पहली टेस्ट लैंडिंग की।
बॉर्डर रोड्स ऑर्गनाइजेशन (BRO) ने हाल के वर्षों में इसे अपग्रेड किया, जिसमें लंबा रनवे, नेविगेशन सिस्टम और सहायता सुविधाएं शामिल हैं। जुलाई 2025 की रिपोर्ट्स में कहा गया था कि अक्टूबर तक यह इमरजेंसी लैंडिंग के लिए तैयार होगा, और अब फुल फाइटर ऑपरेशंस के लिए चालू है।
हालांकि, रक्षा मंत्रालय से आधिकारिक बयान अभी बाकी है, लेकिन मीडिया और सोशल मीडिया पर पुष्टि हो चुकी है। यह लद्दाख में तीसरा एयरबेस है, जो लॉजिस्टिकल सपोर्ट को बढ़ाएगा। इस विकास से भारत की हिमालयी सीमा अभेद्य हो गई है। चीन के अतिक्रमण प्रयासों के बीच यह बेस न केवल रक्षा बल्कि आक्रामक क्षमता भी प्रदान करता है। भविष्य में और अपग्रेड्स की उम्मीद है, जो क्षेत्रीय शांति के लिए जरूरी हैं।
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