गुजरात में कांग्रेस पार्टी ने अपनी संगठनात्मक रणनीति में बड़ा बदलाव करते हुए ओबीसी और एसटी समुदाय के नेताओं को अहम जिम्मेदारियां सौंपी हैं। अमित चावड़ा को गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जबकि तुषार चौधरी को कार्यकारी अध्यक्ष की भूमिका दी गई है। यह कदम गुजरात में आगामी विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, जिसका उद्देश्य सामाजिक समीकरणों को साधकर पार्टी की स्थिति को मजबूत करना है।
नई नियुक्तियों का मकसद
गुजरात में कांग्रेस लंबे समय से सत्ता से बाहर है, और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दबदबा रहा है। ऐसे में कांग्रेस ने सामाजिक विविधता को ध्यान में रखते हुए नेतृत्व में बदलाव किया है। अमित चावड़ा, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं, और तुषार चौधरी, जो आदिवासी (एसटी) समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं, को पार्टी ने सामाजिक समावेशिता का संदेश देने के लिए चुना है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि यह कदम ओबीसी और आदिवासी वोटरों को लुभाने की रणनीति का हिस्सा है, जो गुजरात की कुल आबादी का एक बड़ा हिस्सा हैं।
अमित चावड़ा: ओबीसी चेहरा और युवा जोश
अमित चावड़ा अनखा से विधायक हैं और पहले भी गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं। उनके अनुभव और ओबीसी समुदाय में मजबूत पकड़ को देखते हुए पार्टी ने उन्हें फिर से यह जिम्मेदारी सौंपी है। चावड़ा ने नियुक्ति के बाद कहा, “मेरा लक्ष्य गुजरात के हर वर्ग को कांग्रेस के साथ जोड़ना है। हम बीजेपी के कुशासन के खिलाफ एकजुट होकर लड़ेंगे और जनता के मुद्दों को उठाएंगे।” उनकी रणनीति में ग्रामीण क्षेत्रों में पार्टी की पहुंच बढ़ाने और युवा वोटरों को आकर्षित करने पर जोर है।
तुषार चौधरी: आदिवासी समुदाय का मजबूत नेतृत्व
तुषार चौधरी, जो पहले साबरकांठा से सांसद रह चुके हैं, आदिवासी समुदाय में अपनी मजबूत पैठ के लिए जाने जाते हैं। उनकी नियुक्ति को गुजरात के आदिवासी बहुल क्षेत्रों, जैसे दाहोद, छोटा उदयपुर, और पंचमहाल में कांग्रेस की स्थिति को मजबूत करने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है। तुषार ने कहा, “आदिवासी समुदाय के हितों की रक्षा और उनके विकास के लिए कांग्रेस प्रतिबद्ध है। हम बीजेपी की जनविरोधी नीतियों का पर्दाफाश करेंगे।”सामाजिक समीकरण और रणनीतिगुजरात में ओबीसी और एसटी समुदाय की आबादी क्रमशः 40% और 15% के आसपास है। ये दोनों समुदाय गुजरात की सियासत में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। कांग्रेस का मानना है कि चावड़ा और चौधरी की जोड़ी इन समुदायों के बीच पार्टी का आधार मजबूत कर सकती है। साथ ही, यह नियुक्ति बीजेपी के सामने एक नई चुनौती पेश कर सकती है, जो लंबे समय से इन समुदायों के वोट बैंक पर कब्जा जमाए हुए है।
चुनौतियां और भविष्य
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह नियुक्ति कांग्रेस के लिए एक जोखिम भरा लेकिन रणनीतिक कदम है। अहमदाबाद के एक राजनीतिक विश्लेषक प्रो. हेमंत शाह कहते हैं, “कांग्रेस ने सामाजिक समीकरणों को साधने की कोशिश की है, लेकिन बीजेपी का संगठनात्मक ढांचा और गुजरात में उसकी गहरी पैठ कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती है।” इसके अलावा, कांग्रेस को शहरी क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बढ़ाने और कार्यकर्ताओं में जोश भरने की जरूरत है।कार्यकर्ताओं में उत्साहनई नियुक्तियों के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं में उत्साह देखा जा रहा है। अहमदाबाद में एक कार्यकर्ता रमेश पटेल ने कहा, “अमित भाई और तुषार भाई का नेतृत्व हमें नई ऊर्जा देगा। हम गांव-गांव जाकर बीजेपी की नाकामियों को उजागर करेंगे।” पार्टी ने आगामी महीनों में व्यापक जनसंपर्क अभियान और रैलियों की योजना बनाई है।
निष्कर्ष
गुजरात में कांग्रेस का यह नया नेतृत्व परिवर्तन आगामी विधानसभा चुनावों में पार्टी की दिशा तय करेगा। अमित चावड़ा और तुषार चौधरी की जोड़ी क्या बीजेपी के गढ़ में सेंध लगा पाएगी, यह देखना बाकी है। फिलहाल, कांग्रेस ने सामाजिक समावेशिता और युवा नेतृत्व के सहारे गुजरात में नई उम्मीद जगाने की कोशिश की है।