नई दिल्ली, 4 नवंबर 2025। Najafgarh Firing: नजफगढ़ के अर्जुन पार्क में 28 अक्टूबर को हुई सनसनीखेज फायरिंग के मामले में दिल्ली पुलिस ने वॉन्टेड आरोपी दीपक और उसके साथी की धरपकड़ के लिए कमर कस ली है।
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डीसीपी द्वारका अंकित सिंह के नेतृत्व में एसीपी राम अवतार की निगरानी में इंस्पेक्टर कमलेश कुमार और सुभाष चंद की टीम लगातार दो दिनों से दिल्ली के अलावा हरियाणा और राजस्थान में छापेमारी कर रही है। मसूरी से गिरफ्तार शूटरों मनीष और हिमांशु की निशानदेही पर यह कार्रवाई तेज हो गई है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, दीपक और उसके साथी का लोकेशन पता लग चुका है, लेकिन वे जगह-जगह बदल रहे हैं, जिससे गिरफ्तारी में थोड़ा विलंब हो रहा। जल्द ही वे हिरासत में होंगे। घटना की पृष्ठभूमि में गैंगवार का काला अध्याय है। हिमांशु भाऊ गैंग से जुड़े दीपक ने झज्जर जेल में हुए झगड़े का बदला लेने के लिए भाऊ से मदद मांगी। रोहित लांबा, जो अशोक प्रधान गैंग से जुड़ा है, को निशाना बनाया गया।
दीपक ने दो शूटरों को हायर किया और फायरिंग के बाद 4 लाख रुपये देने का वादा किया। बहादुरगढ़ से 2 दिन के लिए किराए पर ली ब्रेजा कार में चारों अर्जुन पार्क पहुंचे। एक ने कार चलाई, जबकि तीनों ने रोहित के घर पर कई राउंड फायरिंग की। किस्मत का धन्यवाद कि रोहित बाल-बाल बच गया, कोई हताहत नहीं हुआ। इससे पहले, क्राइम ब्रांच ने दो अन्य आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था।
पुलिस ने कार जब्त कर ली है और पूछताछ में गैंग के नेटवर्क का खुलासा हो रहा है। यह घटना दिल्ली-एनसीआर में गैंगवार की बढ़ती प्रवृत्ति को उजागर करती है, जहां जेलों के झगड़े सड़कों पर बदले की आग बन रहे हैं। डीसीपी अंकित सिंह ने कहा, “हमारी टीमें अलर्ट मोड में हैं। अपराधियों को किसी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।” जांच में और सुराग मिलने की उम्मीद है, जो पूरे नेटवर्क को ध्वस्त कर सकती है। बिहार चुनाव के बीच यह मामला कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रहा है।
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