मुंबई, 20 अगस्त 2025। Mumbai Monorail: मुंबई मोनोरेल, जिसे शहर की भीड़भाड़ वाली सड़कों का समाधान माना गया था, एक बार फिर चर्चा में है, लेकिन गलत कारणों से। 19 अगस्त 2025 को चेंबूर और भक्ति पार्क स्टेशनों के बीच मोनोरेल तकनीकी खराबी के कारण अचानक रुक गई। ट्रेन में सवार लगभग 200 यात्रियों को भारी बारिश के बीच घंटों फंसे रहना पड़ा।
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एयर कंडीशनर और लाइट बंद होने से यात्रियों को घुटन का सामना करना पड़ा, जिससे अफरा-तफरी मच गई। कुछ यात्री बेहोश हो गए और आखिरकार फायर ब्रिगेड, पुलिस, और MMRDA की मदद से सभी को सुरक्षित निकाला गया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने इस घटना की जांच के आदेश दिए हैं। मुंबई मोनोरेल, जिसकी लागत करीब 3000 करोड़ रुपये थी, 2009 में शुरू हुई थी और इसे चेंबूर से वडाला और फिर जेकब सर्कल तक जोड़ने का लक्ष्य था।
पहला चरण (चेंबूर-वडाला) 2014 में और दूसरा चरण (वडाला-जेकब सर्कल) 2019 में शुरू हुआ। लेकिन बार-बार तकनीकी खराबी, कम राइदरशिप, और खराब रखरखाव ने इस परियोजना को ‘व्हाइट एलिफेंट’ बना दिया। MMRDA ने 2018 में L&T और Scomi Engineering के साथ अनुबंध समाप्त कर लिया, क्योंकि वे रखरखाव और संचालन में विफल रहे।
वर्तमान में, मोनोरेल की दैनिक राइदरशिप केवल 16,000-18,000 है, जो 1.5-2 लाख के अनुमान से बहुत कम है। विशेषज्ञों का कहना है कि गलत रूट प्लानिंग, मेट्रो और उपनगरीय रेलवे से कम कनेक्टिविटी, और बार-बार होने वाली तकनीकी खराबी इसकी असफलता के मुख्य कारण हैं। 2017 में एक खाली ट्रेन में आग लगने और 2015 में बिजली की विफलता से यात्रियों के फंसने की घटनाओं ने इसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाए।
MMRDA ने हाल ही में 300 करोड़ रुपये के पांच साल के अनुबंध के साथ निजी ऑपरेटर नियुक्त करने की योजना बनाई है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि बिना बेहतर कनेक्टिविटी और विश्वसनीयता के यह परियोजना मुंबई की जरूरतों को पूरा नहीं कर सकती।
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